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ट्रेन के पटरी से उतरने से बढ़ रहीं मौतें

इन मामलों की जांच रेल संरक्षा आयुक्त के साथ-साथ एनआइए भी कर रही है। क्योंकि इनमें तोड़फोड़ की आशंका भी व्यक्त की गई थी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 20 Aug 2017 10:13 PM (IST)Updated: Sun, 20 Aug 2017 10:13 PM (IST)
ट्रेन के पटरी से उतरने से बढ़ रहीं मौतें
ट्रेन के पटरी से उतरने से बढ़ रहीं मौतें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा ट्रेने पटरी से उतरी हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन सालों में ट्रेन के पटरी से उतरने के कुल 206 हादसे हुए। इनमें 333 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।

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वर्ष 2014-15 में डीरेलमेंट की 135, 2015-16 में 107 तथा 2016-17 में 104 दुर्घटनाएं हुई। ये आंकड़े इससे पहले के डीरेलमेंट के हादसों के मुकाबले काफी संगीन हैं। क्योंकि इससे पहले 2013-14 में केवल 53 डीरेलमेंट हुए थे, जिनमें मात्र 6 लोग मारे गए थे। वैसे पिछले पांच सालों के आंकड़े लें तो इस दौरान कुल 586 रेल हादसे हुए जिनमें 53 फीसद डीरेलमेंट के थे।

पहले ट्रेनों के पटरी से उतरने से बहुत कम लोगों की मौत होती थी। इसलिए इन हादसों को ज्यादा गंभीर हादसों में नहीं गिना जाता था। अधिक मौतों के कारण केवल ट्रेनों की टक्कर ही गंभीर हादसों में शुमार होती थी। परंतु अब टक्कर के हादसे तो नगण्य हो गए हैं। जबकि पटरी से उतरने के हादसे आम होने के साथ-साथ जानलेवा साबित होते जा रहे हैं।

पिछले तीन सालों में डीरेलमेंट के छह बड़े हादसे हुए हैं। इनमें एक 20 मार्च, 2015 को देहरादून-वाराणसी जनता एक्सप्रेस का हादसा है जो रायबरेली के नजदीक हुआ था। इसमें 58 लोग मारे गए थे। दूसरा पुखरायां में इंदौर-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस का हादसा है। यह 20 नवंबर, 2016 को हुआ था। इसमें 150 लोगों की मौत हुई थी। तीसरा बड़ा हादसा जगदलपुर-भुवनेश्र्वर हीराखंड एक्सप्रेस का है, जो 21 जनवरी 2017 को कुनेरू स्टेशन के नजदीक आंध्र प्रदेश में हुआ था। इसमें करीब 40 लोग मारे गए थे।

इन मामलों की जांच रेल संरक्षा आयुक्त के साथ-साथ एनआइए भी कर रही है। क्योंकि इनमें तोड़फोड़ की आशंका भी व्यक्त की गई थी। इसी वजह से इन पर संरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। इनमें पुखरायां हादसे में डीआरएम समेत पांच अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई भी हुई थी। अन्य मामलों में कार्रवाई के लिए जांच के निष्कर्षो का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच रेल मंत्रालय ने ट्रैक के रखरखाव की रकम को सालाना साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर लगभग दस हजार करोड़ रुपये कर दिया है।

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