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दोहा से आया शव, चिता पर देखा किसी और का था

खाड़ी देश कतर (दोहा) से आना था आदमपुर के युवक हरजीत सिंह हैप्पी का शव, भेज दिया गया किसी और का। श्मशानघाट पर शव ताबूत से निकाला गया तो परिजनों के होश फाख्ता हो गए। यह शव 24 वर्षीय हरजीत का नहीं था। परिजनों ने अंतिम संस्कार को तत्काल रोक शव शवगृह में रखवा दिया और डीसी के माध्यम से विदेश

By Edited By: Published: Thu, 18 Sep 2014 08:04 AM (IST)Updated: Thu, 18 Sep 2014 08:04 AM (IST)
दोहा से आया शव, चिता पर देखा किसी और का था

जागरण संवाददाता, जालंधर। खाड़ी देश कतर (दोहा) से आना था आदमपुर के युवक हरजीत सिंह हैप्पी का शव, भेज दिया गया किसी और का। श्मशानघाट पर शव ताबूत से निकाला गया तो परिजनों के होश फाख्ता हो गए। यह शव 24 वर्षीय हरजीत का नहीं था। परिजनों ने अंतिम संस्कार को तत्काल रोक शव शवगृह में रखवा दिया और डीसी के माध्यम से विदेश मंत्रलय से संपर्क साधा।

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दोहा से शव लेकर मृतक का मौसेरा भाई राजिंदर सिंह बुधवार तड़के जालंधर के आदमपुर पहुंचा था। उसने बताया कि वहां अधिकारी व कर्मचारी ने शव देखने ही नहीं दिया। फोटो खींचने से भी मना कर दिया। शव को यहां लाने में परिजनों को करीबन दो लाख रुपये खर्च करने पड़े हैं। वहां जेल में करंट लगने से पांच सितंबर को हरजीत की मौत हुई थी। शव लाल रंग के ताबूत में बंद था।

श्मशानघाट में चिता पर रखने के लिए शव ताबूत से निकाला तो परिजनों ने सोचा कि शायद मौत के अधिक दिन होने से शव पहचान में नहीं आ रहा है। हाथ पर टैटू व पैर पर ऑपरेशन के निशान नहीं मिले तो परिजनों को यकीन हो गया कि शव हरजीत का नहीं है। इसके बाद श्मशानघाट में करीबन घंटे तक शोर-शराबा होता रहा। आखिरकार परिजनों ने शव को पास ही स्थित एक शवगृह में रखवा दिया। राजिंदर का कहना है कि दोहा की जेल में हरजीत समेत पांच लोगों की मौत हुई थी। इसमें पाकिस्तानी व बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल थे। शव बांग्लादेशी प्रतीत हो रहा है। माना जा रहा है कि गलती से हरजीत की जगह बांग्लादेशी नागरिक का शव आ गया है। परिजनों ने मामले को लेकर डीसी कमल किशोर से मुलाकात की। डीसी ने विदेश मंत्रलय के भरोसे मामला सुलझाने का आश्वासन दिया है। अब हैप्पी के परिजन इस बात से परेशान हैं कि यदि शव बदल कर किसी और देश पहुंच गया और उसे दफना दिया गया तो हैप्पी का शव वापस भारत आना कैसे संभव होगा।

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