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भाजपा पर जाटों का भरोसा बरकरार, सपा और बसपा के साथ रहा मुस्लिम समुदाय

आंकड़ों के मुताबिक ये साफ है कि जाट मतदाता जहां भाजपा के साथ मजबूती के साथ खड़े रहे, वहीं सपा और बसपा में मुस्लिम समुदाय ने भरोसा जताया।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 15 Mar 2017 12:24 PM (IST)Updated: Wed, 15 Mar 2017 05:56 PM (IST)
भाजपा पर जाटों का भरोसा बरकरार, सपा और बसपा के साथ रहा मुस्लिम समुदाय
भाजपा पर जाटों का भरोसा बरकरार, सपा और बसपा के साथ रहा मुस्लिम समुदाय

नई दिल्ली (जेएनएन)। यूपी में प्रचंड विजय के साथ भाजपा का 14 वर्ष का वनवास खत्म हो चुका है। यूपी के चुनावी परिणाम अपने पीछे कई सवाल छोड़़ गए, मसलन जाट समुदाय, मुस्लिम और दलित मतदाताओं में किस पार्टी के पक्ष में अपना भरोसा जताया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक अलग-अलग समुदाय के मतदाताओं ने ठीक उसी तरह से अपने मत का इस्तेमाल किया जैसा वो पहले के चुनावों में करते रहे हैं।  

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 भाजपा के पक्ष में जाट समुदाय

हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के बाद राजनीतिक हल्कों में कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान जाट मतदाता शायद भाजपा के पक्ष में मतदान न करें। राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजीत सिंह चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान सभी रैलियों में कहते रहे कि भाजपा ने जाटों को धोखा दिया है। लेकिन चुनाव परिणाम के नतीजे कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। पहले चरण में संपन्न 73 विधानसभा सीटों के नतीजों और जाट मतदाताओं के मत प्रतिशत से साफ है कि उनके ऊपर भाजपा या यूं कहें कि पीएम मोदी का जादू जमकर चला। 2012 की तुलना में 2017 में भाजपा के पक्ष में करीब 45 फीसद जाट मतदाताओं ने मत दिया, जबकि जाट वोटों पर एकाधिकार का दावा करने वाली आरएलडी का वोट प्रतिशत 11 फीसद से घटकर 6 फीसद रह गया। वोट प्रतिशत से साफ है कि पश्चिमी यूपी में भाजपा की विजय में जाट मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

मुस्लिम मतों में बिखराव नहीं

यूपी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 19 फीसद है। चुनाव से ठीक पहले कयास लगाए जा रहे थे कि मुस्लिम मतदाता सपा या बसपा में से किस पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे। उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों से इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि हो सकता है कि मुस्लिम समाज का कुछ हिस्सा खासतौर से महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया हो। लेकिन चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की एक चौथाई से ज्यादा मुस्लिम बहुल आबादी वाले विधानसभा इलाकों में सपा (29 फीसद) और बसपा (18 फीसद) को 47 फीसद मत मिले थे। 2014 में दोनों पार्टियों के पक्ष में ये आंकड़ा 43 फीसद था। इन आंकड़ों से साफ है कि सपा और बसपा के साथ मुस्लिम मतदाता पहले की तरह जुड़े रहे।

 

किसके कब्जे में दलित वोट

2017 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पंडितों को भी उत्सुकता रही कि दलित मतदाताओं ने किस पार्टी के पक्ष में मतदान किया। चुनावों से ठीक पहले दलित मतदाताओं खासतौर से गैर जाटव मतदाताओं को रिझाने के लिए भाजपा पूरी कोशिश कर रही थी। यूपी की आबादी में दलित करीब 21 फीसद है। विधानसभा चुनाव में बसपा की करारी हार के बाद ये सवाल उठ रहे थे कि दलित मतदाताओं मे किस पार्टी के पक्ष में मतदान किया था।


आंकड़ों के मुताबिक 2017 में बसपा को 24 फीसद मत मिले, जबकि 2014 में 23 फीसद और 2012 में 27 फीसद मत मिले थे। 85 आरक्षित सीटों में भाजपा को 40 फीसद मत मिले जबकि बसपा को 24 फीसद पर संतोष करना पड़ा।

भाजपा की जीत से साफ है कि पार्टी को अलग अलग समुदायों का जबरदस्त समर्थन मिला जबकि परंपरागत तौर पर बसपा के कैडर जो पहले भी मत दिया करते थे, उसमें किसी तरह की खास गिरावट नहीं दर्ज की गई।  

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