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महंगाई में हीरालाल को महंगाई भत्ते की चाह नहीं

क्या आपने किसी ऐसे सरकारी कर्मी को देखा है जो वेतन में वृद्धि नहीं चाहता हो। हीरालाल बर्मन ऐसे ही शख्स हैं, जिन्हें महंगाई के इस दौर में महंगाई भत्तो में बढ़ोतरी की चाह नहीं है। मजदूरों को महंगाई भत्ता न मिलने के विरोध में हीरालाल ने खुद भी यह भत्ता न लेने का संकल्प लिया है।

By Edited By: Published: Fri, 27 Apr 2012 09:00 PM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2012 09:06 PM (IST)
महंगाई में हीरालाल को महंगाई भत्ते की चाह नहीं

कोलकाता [जागरण संवाददाता]। क्या आपने किसी ऐसे सरकारी कर्मी को देखा है जो वेतन में वृद्धि नहीं चाहता हो। हीरालाल बर्मन ऐसे ही शख्स हैं, जिन्हें महंगाई के इस दौर में महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की चाह नहीं है। मजदूरों को महंगाई भत्ता न मिलने के विरोध में हीरालाल ने खुद भी यह भत्ता न लेने का संकल्प लिया है।

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हीरालाल केंद्र सरकार की 100 दिवसीय रोजगार योजना के तहत काम करने वाले श्रमिकों का महंगाई भत्ता बढ़ा देखना चाहते हैं। हीरालाल इंडियन ऑडिट्स एंड एकाउंट्स डिपार्टमेंट की कोलकाता शाखा में सहायक लेखा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। अपनी इस मांग पर उन्होंने पिछले साल भारत के मुख्य लेखा नियंत्रक [कैग] को पत्र लिखा था, जब केंद्र सरकार ने जुलाई, 2011 में सरकारी कर्मियों का महंगाई भत्ता सात फीसदी बढ़ाने का निर्णय किया था। हीरालाल ने कहा कि वह अपने लिए महंगाई भत्ते में सात फीसदी की बढ़ोतरी नहीं चाहते। केंद्र सरकार की तरफ से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट [मनरेगा] के तहत काम करने वाले श्रमिकों के प्रति किए गए अन्याय के खिलाफ यह उनकी तरफ से छोटा सा विरोध है। बढ़ोतरी के बाद उन्हें महंगाई भत्ते के रूप में 1600 रुपये मिलते, जबकि बंगाल में मनरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिकों को महज छह रुपये मिलते हैं। हीरालाल हर रविवार को राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं और वहां के अशिक्षित लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताते हैं।

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