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निजी बैंकों के कर्मचारियों पर भी कसेगी सीवीसी की नकेल

आरबीआइ की ओर से यह कदम बीते साल आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उठाया गया है। इससे निजी बैंकों के कर्मचारियों पर भी सीवीसी के नकेल कस जाएगी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 08:21 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 08:21 PM (IST)
निजी बैंकों के कर्मचारियों पर भी कसेगी सीवीसी की नकेल
निजी बैंकों के कर्मचारियों पर भी कसेगी सीवीसी की नकेल

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) अब निजी क्षेत्र के बैंकों में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर सकेगा। यही नहीं, सीवीसी ऐसे मामलों में इन बैंकों के कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच की कार्रवाई को अंजाम दे सकेगा। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने हाल ही में जरूरी मंजूरी दे दी है। सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन ने यह जानकारी दी।

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आरबीआइ की ओर से यह कदम बीते साल आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उठाया गया है। इससे निजी बैंकों के कर्मचारियों पर भी सीवीसी के नकेल कस जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत निजी बैंकों के चेयरमैन, एमडी और अन्य अधिकारी लोक सेवक माने जा सकते हैं। सीवीसी भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली वैधानिक एजेंसी है। सतर्कता आयोग केंद्र सरकार के विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों (बैंक व बीमा कंपनियों सहित) और उनके कर्मचारियों से जुड़े रिश्वतखोरी के मामलों की जांच करता है।

भसीन ने कहा कि आरबीआइ के अलावा वित्तीय सेवा विभाग भी केंद्रीय सतर्कता आयोग को भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में निजी बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मंजूरी दे चुका है। अब सीवीसी के लिए निजी बैंकों और उनके प्रबंधन (सीएमडी व एमडी समेत) से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की छानबीन शुरू करना आसान हो गया है। सीवीसी ने इससे जुड़ी सारी तैयारियां पहले ही कर ली थीं। निजी बैंकों में भ्रष्टाचार के कुछ मामलों की जांच की अब शुरुआत की जा रही है। यही नहीं, सीवीसी ने आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के मामलों को जांच के लिए सीबीआइ जैसी एजेंसियों के साथ साझा करना भी शुरू कर दिया है।

यह था सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि आरबीआइ के लाइसेंस के तहत संचालित बैंकों में कार्यरत सभी कर्मचारी भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 की परिभाषा के अनुसार लोक सेवक के दायरे में आते हैं। ये बैंक कर्मचारी (निजी या सार्वजनिक) लोक सेवा का दायित्व निभा रहे होते हैं। इसलिए यह कानून निजी बैंकों के कर्मियों पर भी लागू होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 46ए का भी हवाला दिया था। इस धारा के अनुसार भी बैंक कर्मचारी लोक सेवक हैं।

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