सुकमा हमला: पन्द्रह फीट ऊंचाई से पेड़ों पर चढ़कर नक्सलियों ने की थी फायरिंग
आइजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि ग्राम लिंपा के गा्रमीणों ने नक्सलियों द्वारा तीन शवों के जलाए जाने की पुष्टि की है। वहीं नक्सलियों के घायल होने की जानकारी भी मिली है।
सुकमा, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के बुरकापाल में नक्सलियों ने पेड़ों पर चढ़कर 15 फीट की ऊंचाई से जवानों पर गोलियां दागी थी। साढ़े तीन सौ से अधिक नक्सलियों ने जवानों को तीन दिशाओं से घेरकर एंबुश में फंसाया था। नक्सलियों की तुलना में महज 92 जवान थे, इसलिए फोर्स को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।
हमारे सहयोगी न्यूपेपर नईदुनिया की टीम मंगलवार को बुरकापाल पहुंची। घटना में मौजूद रहे सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के जवान मनोज कुमार ने बातचीत में बताया कि बुरकापाल कैंप से जवानों की टीम निर्माणाधीन पुलया की सुरक्षा के लिए सर्चिंग पर निकली थी। इस बीच रास्ते में लाल साड़ी पहने कुछ ग्रामीण महिलाएं तेंदूपत्ता व आम तोड़ती नजर आईं। ये महिलाएं फोर्स की रेकी कर रही थीं। महिलाएं गांव की नहीं थी, इसलिए सुरक्षा बल को उन पर संदेह भी हुआ।
इसके बाद तीनों दिशाओं से गोलियां चलनी शुरू हो गईं। जवनों ने जवाबी कार्रवाई में एचई (हाई एक्सप्लोसिव) बम भी दागे। एम्बुश में फंसाने के चलते जवान कमजोर पड़ गए। इस दौरान नक्सली जंगल में पेड़ों के ऊपर चढ़कर फायरिंग कर रहे थे। करीब तीन बजे तक फायरिंग चली। वहीं सपोर्टिंग पार्टी को रोकने के लिए भी नक्सलियों की दूसरी पार्टी विपरीत दिशा में फायरिंग कर रही थी।
घटनास्थल पर पेड़ों में कई जगहों पर गोलियों के निशान हैं। मौके पर बिना फटे व फटे हुए तीर बम समेत खाली कारतूस के खोखे चारों ओर नजर आए। घटना स्थल से कुछ दूरी पर तंबाकू का पैकेट मिला। घात लगाए बैठे नक्सली जवानों के आने से पूर्व गुडाखू (तंबाकू का मंजन) घिसकर टाइम पास करते रहे। विदित हो कि बीते 12 बार्च को कोत्ताचेरू में हुए हमले के दौरान भी नक्सलियों ने तीर बम का इस्तेमाल किया था।
तीन नक्सलियों के मारे जाने का दावा
आइजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि ग्राम लिंपा के गा्रमीणों ने नक्सलियों द्वारा तीन शवों के जलाए जाने की पुष्टि की है। वहीं नक्सलियों के घायल होने की जानकारी भी मिली है। घटनास्थल पर खून के छींटे भी मिले हैं। सिन्हा ने खुफिया तंत्र की नाकामी की बात से इंकार करते हुए कहा कि नक्सलियों के मुकाबले जवानों की संख्या काफी कम थी, इसलिए नुकसान उठाना पड़ा।
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