कश्मीर में प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए होता रहेगा ‘पैलेट गन’ का इस्तेमाल
पैलेट गन के इस्तेमाल पर गृहमंत्री की हिदायत के बाद सीआरपीएफ के डीजी ने कहा कि बेकाबू स्थिति में पैलेट गन का इस्तेमाल होता रहेगा।
नई दिल्ली। पिछले करीब दो हफ्ते से जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था को संभालने में अग्रिम मोर्चे पर खड़े अर्धसैनिक बलों ने घाटी में पैलेट गन के इस्तेमाल के चलते कुछ युवकों की आंखों में लगी चोट पर दुख व्यक्त किया है। हालांकि, उन्होंने यह साफ कर दिया है कि बेहद चरम स्थितियों में पैलेट गन इस्तेमाल होता रहेगा। वैसे सीआरपीएफ की डीजी के. दुर्गा प्रसाद ने उम्मीद जताई कि भविष्य में दोबारा ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
दिल्ली में वार्षिक सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा, “पैलेट गन के इस्तेमाल के चलते युवा घायल हुए हैं उसके लिए माफी चाहता हूं। हम खुद ही इसे कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं ताकि कम लोग घायल हों। लेकिन, इसे हम तब इस्तेमाल करते हैं जब भीड़ पूरी तरीके से अनियंत्रित हो जाती है और किसी भी दूसरे तरीके से उस पर काबू नहीं पाया जा सकता।”
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उन्होंने कहा कि जवानों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि वो ऐसी घटनाओं से निपटते समय भावनाओँ में ना बहे और सही तर्कों का इस्तेमाल करें। सीआरपीएफ के डीजी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां पर इतनी बड़ी तादाद में पत्थरबाजी होती है और ऐसी स्थिति में जब स्थित बेकाबू हो जाती है उसके बाद जवानों को पैलेट गन का इस्तेमाल करना पड़ता है।
के. दुर्गा प्रसाद ने कहा कि जवानों को निर्देश दिया गया है कि जब कभी भी वह पैलेट गन का इस्तेमाल कश्मीर में करें तो घुटने के नीचे ही फायर करें। उन्होंने कहा कि लोग घायल तब होते हैं जब प्रदर्शनकारी काफी नजदीक आ जाते हैं और जवानों को पायलट गन का इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे में सामने वाले की जान जाने की भी ख़तरा बना रहता है।
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