मानसून की अच्छी बारिश से खाद्यान्न पैदावार के सारे रिकार्ड टूटे
खरीफ व रबी सीजन में सरकार ने किसानों को खेती की उनकी जरूरतों का जहां पूरा ध्यान रखा गया, वहीं किसानों की मेहनत ने रंग दिखाया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नीतिगत तैयारियों और मानसून की अच्छी बारिश से खाद्यान्न की पैदावार में रिक़ार्ड बढ़त दर्ज की गई है। इससे देश की खाद्य सुरक्षा और किसानों ने राहत महसूस की है। लगातार दो साल पड़े सूखे से हलकान किसानों की माली हालत में पर्याप्त सुधार होने की संभावना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। चालू फसल वर्ष में अब तक की सर्वाधिक पैदावार हुई है।
खरीफ व रबी सीजन में सरकार ने किसानों को खेती की उनकी जरूरतों का जहां पूरा ध्यान रखा गया, वहीं किसानों की मेहनत ने रंग दिखाया। अच्छे मानसून से मिट्टी में पर्याप्त नमी होने का फायदा किसानों ने उठाया और रिकार्ड रकबा में फसलों की बुवाई की है। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों केमुताबिक कुल फसल का उत्पादन 27.19 करोड़ टन होगा। यह पैदावार देश के कृषि उत्पादन के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक है। जबकि पिछले फसल वर्ष में उत्पादन का यह आंकड़ा 26.55 करोड़ टन था।
उत्पादन के आंकड़े में सबसे खास बात यह है कि देश में दलहन की भारी कमी को पूरा करने के लिए सरकार के प्रयासों को किसानों ने अपने खेतों में सफल कर दिखाया है। दलहन फसलों की पैदावार में अब तक की सर्वाधिक 35.54 फीसद वृद्धि दर दर्ज की गई है। दालों की पैदावार 2.21 करोड टन होगी। इससे हजारों करो़ड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। सरकार ने राहत की सांस ली है। गरीब आबादी के लिए घटती प्रोटीन की उपलब्धता के संकट से निपटने में मदद मिलेगी।
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सरकार ने दलहन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को पर्याप्त बीज, खाद और कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराया।वर्ष 2003-04 में देश में जहां गेहूं की पैदावार केवल 7.21 क टन थी,सरकारी नीतियों व किसानों के प्रयास से उसे बढाकर 9.66 करोड़ टन कर दिया गया है।
इसमें 9.32 फीसद की बढत दर्ज की गई है। किसानों को खेती के जोखिम से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सिंचाई योजना और उन्नतशील बीजों के साथ संतुलित खादों की पूरी आपूर्ति की। केंद्र सरकार के अधिकारियों व कृषि वैज्ञानिकों ने हर सप्ताह वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के अधिकारियों से संपर्क बनाये रखा। गेहूं की फसल को शायद पहली बार होगा, जब कोई रोग नहीं पक़डा, जिसके चलते उत्पादकता मेंसुधार हुआ है।
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