अदालत ने अलगाववादी मसर्रत आलम की केस डायरी मांगी
कश्मीर में पाकिस्तानी ध्वज फहराने और देश विरोधी नारेबाजी करने वाले हुर्रियत नेता मसर्रत आलम की जमानत याचिका पर मंगलवार को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई होगी। अदालत ने पुलिस से मसर्रत से संबंधित मामले की केस डायरी व जमानत याचिका के खिलाफ आपत्तियों के आधार का ब्योरा
श्रीनगर [जागरण ब्यूरो]। कश्मीर में पाकिस्तानी ध्वज फहराने और देश विरोधी नारेबाजी करने वाले हुर्रियत नेता मसर्रत आलम की जमानत याचिका पर मंगलवार को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई होगी। अदालत ने पुलिस से मसर्रत से संबंधित मामले की केस डायरी व जमानत याचिका के खिलाफ आपत्तियों के आधार का ब्योरा मांगा है।
जम्मू-कश्मीर से लेकर नई दिल्ली तक की सियासत में हलचल पैदा करने वाले मसर्रत आलम को राज्य सरकार की शुरुआती ना-नुकर के बाद गत शुक्रवार को पुलिस ने हिरासत में लिया था। हालांकि मसर्रत पर पहले राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज नहीं किया गया था, लेकिन केंद्र के दबाव के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ अन्य मामलों के साथ देशद्रोह व राष्ट्र के खिलाफ जंग छेड़ने जैसे मामले भी दर्ज कर लिए थे। मसर्रत 23 अप्रैल तक पुलिस रिमांड पर है।
मसर्रत की जमानत के लिए उनके समर्थकों ने गत शुक्रवार 17 अप्रैल को ही जमानत याचिका दायर कर दी थी। चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने इस मामले में पुलिस से आज रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन पुलिस ने नारबल में विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए रिपोर्ट देने में असमर्थता जताई।
हुर्रियत नेता के वकील शब्बीर अहमद बट ने बताया कि सीजेएम बडगाम ने पुलिस द्वारा रिपोर्ट दाखिल न किए जाने का कड़ा नोटिस लिया है। उन्होंने इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को दोबारा रखते हुए पुलिस को आलम की जमानत पर अपनी आपत्तियां अगर हैं, तो दर्ज कराने व केस डायरी समेत संबंधित मामले के सभी दस्तावेज अदालत में दाखिल करने को कहा है। बट ने कहा कि पुलिस अगर जमानत का विरोध करते हुए अपनी दलील रखती है तो हम उस पर बहस करेंगे।
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