बच सकती थी कर्नल एमएन राय की जान, जानिए कैसे
कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल में आतंकी मुठभेड़ में शहीद कर्नल मुनीन्द्रनाथ राय की जान बच सकती थी, अगर वे अपने स्टैंडिंग ऑपरेशनल प्रोसीजर (एसओपी) की बात मान लेते।
श्रीनगर। कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल में आतंकी मुठभेड़ में शहीद कर्नल मुनीन्द्रनाथ राय की जान बच सकती थी, अगर वे अपने स्टैंडिंग ऑपरेशनल प्रोसीजर (एसओपी) की बात मान लेते। इस मुठभेड़ में कर्नल राय सहित दो सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे और हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकी आबिद और शिराज भी मारे गए थे।
दरअसल, सेना को खबर मिली थी कि दो स्थानीय आतंकी मिंदोरा गांव के एक घर में छुपे हुए है। इसकी सूचना मिलते ही वहां के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल राय अपने सैनिकों के साथ मौके पर पहुंचे। कर्नल राय ने अपने आॅपरेशनल प्रोसीजर की बात मानने के बजाय आतंकियों के परिजनों की बात पर यकीन कर लिया। आतंकियों के घरवालों ने कहा कि वे उन पर गोली नहीं चलाएं और हम उनका आत्म समर्पण करवा देंगे।
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सैन्य अधिकारियों व स्थानीय लोगों के मुताबिक, मंगलवार को मुठभेड़ स्थल पर आतंकी आबिद के पिता जलालुद्दीन ने कर्नल राय को बताया कि उनका पुत्र आत्मसमर्पण करना चाहता है। जलालुद्दीन के दूसरे पुत्र उवैस ने भी सुरक्षाकर्मियों से आग्रह किया कि वे फायरिंग रोक दें। उसका भाई लड़ना नहीं चाहता, वह समर्पण करने को तैयार है।
आतंकी के परिजनों के यकीन दिलाए जाने पर कर्नल राय ने अपने जवानों को फायरिंग रोकने को कहा। इसके बाद कर्नल राय खुद आतंकी का समर्पण कराने के लिए उसके ठिकाने की तरफ बढ़े तो आतंकी ने मौका पाकर फायरिंग कर दी। इसमें कर्नल जख्मी हो गए, लेकिन जमीन पर गिरने से पहले उन्होंने अपने साथियों संग जवाबी फायर कर दोनों आतंकियों को भी मार गिराया।
कर्नल एम.एन. राय को श्रद्धांजलि, देखें तस्वीरें
सूत्रों के अनुसार, मकान में छिपे आतंकियों ने मान लिया था कि वह मारे जाएंगे। उन्होंने चुपचाप मरने के बजाय सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाते हुए मरने का रास्ता चुना।
कर्नल राय ने आतंकियों के घरवालों की बात इसलिए भी मानी क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि वहां गोलीबारी हो। उन्होंने वहां के नागरिकों की रक्षा के लिए पहले गोलियां नहीं चलाई और आतंकियों से आत्म समर्पण करने को कहा। अगर वे वहां सैनिक कार्रवाई करते तो बड़ी संख्या में लोग हताहत हो जाते।
कहां हुई चूक :
1. सूत्रों के अनुसार कर्नल राय को स्टैंडिंग ऑपरेशनल प्रोसीजर के आधार पर आतंकी ठिकाने की घेराबंदी करनी चाहिए थी, लेकिन वह जवानों के साथ मकान के बरामदे में खड़े थे।
2. कर्नल राय ने आतंकी के परिजनों की बात पर यकीन किया और यह पता नहीं लगाया कि आतंकियों के पास हथियार हैं या नहीं।
3. कर्नल राय आतंकी के परिजनों को उसे लाने के लिए भेज सकते थे और आतंकी के हाथ उठाकर बाहर आने तक खुद किसी आड़ में खड़े रहते।