खजाने पर भारी सिग्नेचर ब्रिज, बढ़ती जा रही लागत
सरकारी योजनाओं को पूरा करने में होने वाली देरी किस कदर सरकारी खजाने पर भारी पड़ती है, इसकी बेहतर बानगी दिल्ली सरकार द्वारा यमुना पर बनाया जा रहा सिग्नेचर ब्रिज है। इसका निर्माण कार्य पूरा होने में हो रहे लगातार विलंब की वजह से इसकी लागत में करीब 672 करोड़ रुपये का इजाफा पहले ही हो चुका है।
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। सरकारी योजनाओं को पूरा करने में होने वाली देरी किस कदर सरकारी खजाने पर भारी पड़ती है, इसकी बेहतर बानगी दिल्ली सरकार द्वारा यमुना पर बनाया जा रहा सिग्नेचर ब्रिज है। इसका निर्माण कार्य पूरा होने में हो रहे लगातार विलंब की वजह से इसकी लागत में करीब 672 करोड़ रुपये का इजाफा पहले ही हो चुका है। अब फिर ऐसे संकेत हैं कि इसकी लागत और बढ़ने वाली है।
कैग ने की थी आलोचना
भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने इसके निर्माण में देरी को लेकर पिछले साल दिल्ली सरकार की जमकर आलोचना की थी। लेकिन यह फटकार भी बेअसर रही। इसके निर्माण कार्य में नई बाधाओं की दलील देकर कहा जा रहा है कि अब वर्ष 2015 के अंत तक ही इसका काम पूरा हो पाएगा। आपको बता दें कि दिल्ली सरकार के दिल्ली पर्यटन व परिवहन विकास निगम द्वारा बनाए जाने वाले इस पुल की कुल लागत वर्ष 2006 में 459 करोड़ रुपये तय की गई थी। लेकिन फरवरी, 2008 तक आते-आते यह लागत बढ़कर 1,131 करोड़ रुपये पहुंच गई। इसका निर्माण कार्य वर्ष 2010 के मार्च में शुरू हुआ और तय किया गया कि इसे वर्ष 2013 के दिसंबर तक बनाकर तैयार कर लिया जाएगा। लेकिन अब सरकारी अधिकारी खुद ही मान रहे हैं कि इसे वर्ष 2015 के अंत तक ही चालू किया जा सकेगा। इतना ही नहीं इसकी लागत में इजाफा होने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा रहा। जाहिर है कि इस ब्रिज की खातिर जनता के और पैसे लगाए जाने हैं। जानकार सूत्रों की मानें तो यदि ब्रिज वर्ष 2016 में भी चालू हो जाए तो गनीमत होगी और इसकी लागत 1500 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है।
मलेशिया से मंगानी पड़ेगी मशीन
सिग्नेचर ब्रिज परियोजना के चीफ इंजीनियर जोश कूरियन ने माना कि निर्माण कार्य पूरा करने के लिए फाउंडेशन की राह में आ रहे पत्थरों को काटना पड़ेगा और मलेशिया से मशीन मंगानी पड़ेगी। इसमें अलग से पैसा लगेगा लेकिन यह तय नहीं है कि लागत में कितना इजाफा होगा। उनके मुताबिक ज्यादा बोझ नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिग्नेचर ब्रिज वर्ष 2015 के अंत तक तैयार कर लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सिग्नेचर ब्रिज को पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार किया जाता था।