पीडीपी-भाजपा की सरकार, दस महीनों में तकरार तो कभी प्यार
जम्मू-कश्मीर में पहली बार सरकार बनाकर इतिहास रचने वाली भाजपा के दस महीनों में पीडीपी के साथ संबंध कोई खास बेहतर नहीं रहे।
जम्मू, जागरण ब्यूरो । जम्मू-कश्मीर में पहली बार सरकार बनाकर इतिहास रचने वाली भाजपा के दस महीनों में पीडीपी के साथ संबंध कोई खास बेहतर नहीं रहे। दोनों ही दलों में इस दौरान कई मुद्दों पर तकरार रही। इस बार सरकार गठन में यह भी एक बड़ी बाधा आ रही है।
सरकार के एजेंडा ऑफ अलायंस के स्थान पर दोनों ही दलों के बीच राजनीतिक हित अधिक हावी रहे। दिवंगत मुख्यमंत्री मुफ्ती सईद ने राज्य में चुनाव की कामयाबी का श्रेय पाकिस्तान को दे विवाद पैदा कर दिया था। इसके बाद सरेंडर आतंकवादियों के पुनर्वास व कट्टरपंथी मसर्रत आलम की रिहाई के आदेश देकर भाजपा को मुश्किल में डाल दिया था। भाजपा सरकार गठित होने के कुछ दिनों में ही असहज स्थिति में नजर आने लगी और इन मुद्दों पर बयान देने से भी बचने लगी।
यही नहीं, कश्मीर के विभिन्न भागों में जहां आइएस के झंडे लहराने लगे, वहीं जम्मू में भिंडरवाले का पोस्टर हटाने के बाद प्रदर्शन के चलते पुलिस गोलीबारी में एक युवक की मौत होने के बाद भी स्थिति गंभीर हो गई। भाजपा नेताओं को यह अहसास होने लगा कि उनके लिए आगे की राह आसान नहीं है।
अभी भाजपा संभल भी नहीं पाई थी कि जम्मू की जगह एम्स कश्मीर को दे दिए जाने और उसके बाद मुफ्ती मुहम्मद सईद के तवी नदी में कृत्रिम झील न बनने की संभावना जताकर भाजपा को पसोपेश में डाल दिया। भाजपा को इससे जम्मू में नुकसान हुआ।
अन्य कई मुद्दे भी थे, जिनमें दोनों पार्टियों के बीच टकराव रहा। भाजपा के कई नेता भी इस बात को मानते थे कि दिवंगत मुफ्ती मुहम्मद सईद इतने कद्दावर नेता थे कि उनके कुछ फैसलों के आगे वे बोल नहीं पाते थे। मगर अब महबूबा मुफ्ती अगर सरकार बनाती हैं तो शायद उनके लिए राह इतनी आसान न हो।
ध्वज पर भी टकराए हित
राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया कि राज्य के ध्वज का सम्मान भी राष्ट्रीय ध्वज की तरह हो। आदेश किसने जारी किया, इसको लेकर दोनों पार्टियों में विवाद रहा। तत्कालीन उप मुख्यमंत्री ने उस समय यह बयान दिया कि कुछ लोग सरकार को अस्थिर देखना चाहते हैं। इसके बाद सरकार को यह स्पष्ट करना पड़ा था कि ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है।
गो मांस पर प्रतिबंध पर हुई राजनीति
राज्य में गो मांस पर उच्च न्यायालय के प्रतिबंध के आदेश के बाद गठबंधन सरकार में मतभेद सामने आए। सरकार में भाजपा से संबंधित एक एडवोकेट जनरल और डिप्टी एडवोकेट जनरल की सेवाएं समाप्त कर दी गई। हालांकि, भाजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा थी लेकिन वह कुछ नहीं कर पाई। अलबत्ता मामले ने उस समय नया मोड़ लिया जब निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने श्रीनगर के एमएलए होस्टल में बीफ पार्टी का आयोजन कर न्योता दिया।