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विपक्षी गठबंधन पर हावी अंतरविरोध

लालू प्रसाद का पूरा परिवार विवादों में चौतरफा घिर रहा है। राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर सरकार नहीं बल्कि राजद कठघरे में खड़ा होता है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 04:15 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 07:03 AM (IST)
विपक्षी गठबंधन पर हावी अंतरविरोध
विपक्षी गठबंधन पर हावी अंतरविरोध

आशुतोष झा, नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार का विरोध करने के फैसले के बहाने विपक्ष ने एकजुटता का एक कारण तो ढूंढ लिया लेकिन जमीन भुरभुरी होने लगी है। खासकर बिहार में पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बीच प्रत्यक्ष और परोक्ष हमले ने स्पष्ट कर दिया है कि विपक्ष के लिए भविष्य की डगर बहुत कठिन है। आशंका इसलिए भी गहरी है क्योंकि संयुक्त उम्मीदवार तय करने के लिए एक दिन पहले हुई विपक्षी दलों की बैठक में भी कुछ अन्य दल असहज थे।

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बिहार वह अकेला राज्य है जहां भाजपा के खिलाफ विपक्षी गठबंधन की प्रयोगशाला सफल रही है। परस्पर विरोधी धुरी के दलों के कारण यूं तो शुरुआत से ही खींचतान हावी रही लेकिन पहली बार यह खतरनाक मोड़ पर दिखने लगी है। पहली बार शीर्षस्थ स्तर से प्रत्यक्ष और परोक्ष वार और पलटवार शुरू हुआ है। गौरतलब है कि लालू ने राजग के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के नीतीश कुमार के फैसले को ऐतिहासिक भूल करार दिया और बिहार की बेटी मीरा कुमार का हवाला देकर नैतिक रूप से कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। तो नीतीश ने बिहार की जनता के सामने यह स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी जिद के लिए बिहार की बेटी को हराने की इच्छा नहीं रखते हैं।

लालू प्रसाद के घर इफ्तार के बाद उन्होंने कहा-'बिहार की बेटी क्या हारने के लिए है. हमने कोई फैसला किया तो उस पर डटेंगे।' संकेत साफ है कि बयानबाजी और बढ़ी तो नीचे स्तर तक दोनों दलों में इसपर चर्चा तेज होगी कि नीतीश ने हमेशा बिहार की बेटियों को आगे बढ़ाने का काम किया है। उनके लिए योजनाएं चलाई हैं। अब जबकि राजग की ताकत के सामने विपक्षी राष्ट्रपति उम्मीदवार का हारना तय है तो बिहार की बेटी का हवाला देकर राजनीति करना कितना उचित है।

हालांकि नीतीश और लालू दोनों की ओर से बार बार यह भी स्पष्ट किया जा रहा है कि इसका बिहार सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। लेकिन इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि आखिर लालू इतने भड़के हुए क्यों है। लालू का गुस्सा केवल कोविंद के समर्थन को लेकर है या बीते महीनों में उन विवादित मुद्दों को लेकर जिस पर उनका बचाव करने के लिए जदयू नेता सामने नहीं आए।

लालू प्रसाद का पूरा परिवार विवादों में चौतरफा घिर रहा है। राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर सरकार नहीं बल्कि राजद कठघरे में खड़ा होता है। ऐसे में जिस लंबी रणनीति के साथ लालू प्रसाद अपने पुत्र तेजस्वी को स्थापित करने में जुटे हैं उसमें खरोंच आ रही है। यही कारण है कि मीरा कुमार को समर्थन न देने के मुद्दे पर कांग्रेस व किसी अन्य विपक्षी दल से ज्यादा लालू प्रसाद भड़के हुए हैं।

दूसरी ओर विपक्षी उम्मीदवार चुनने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व मे हुई बैठक से पहले राकांपा की पेशबंदी की गई वह किसी से छुपा नहीं रहा। सूत्र को बताते हैं कि बिना दबाव के कोई फैसला होता तो सर्वसम्मति से उम्मीदवार नहीं चुना गया होता। संभव है कि कुछ दल इसी मुद्दे पर अलग खड़े होते। खैर, एक बड़े और प्रभावी दल, जदयू को खोकर ही सही विपक्ष को एकजुटता का एक मुद्दा मिल गया। पर अंतरविरोध जितना हावी रहा उसमें यह मानना मुश्किल होगा कि भविष्य में इतने दल भी इकट्ठे दिख सकें।

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