भारत के हर नागरिक को संवैधानिक सुरक्षा
पूरे विश्व में धार्मिक मामलों की स्वतंत्रता पर नजर रखने वाली अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट को भारत ने खारिज किया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर नजर रखने का दावा करने वाली अमेरिकी संस्था यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजस फ्रीडम (यूएससीआइआरएफ) की रिपोर्ट को भारत सरकार ने खारिज कर दिया है।
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रिपोर्ट में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताई गई है। कहा गया है कि बहुसंख्यक समाज के संगठन अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हैं और सरकार उनसे कुछ नहीं कहती। अल्पसंख्यक अपने उत्पीड़न की शिकायत करने से बचते हैं, क्योंकि उसमें न्याय की संभावना बहुत कम होती है।
विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा कि संस्था भारत को समझ पाने में पूरी तरह विफल रहा। वह न तो यहां के संविधान को समझा और न ही यहां के समाज को। प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत का संविधान अपने हर नागरिक के अधिकारों की बखूबी रक्षा करता है। भारत में अनेकता में एकता स्थापित किए हुए समाज है, जिसमें मजबूत लोकतांत्रिक मूल्य हैं। भारतीय संविधान हर नागरिक को उसके मूल अधिकारों की गारंटी देता है।
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भारत सरकार सतही और भ्रमित करने वाली जानकारियों पर आधारित किसी भी रिपोर्ट पर ध्यान नहीं देती।अमेरिकी संस्था ने सन 2015 में भारत में धार्मिक सहिष्णुता के कमजोर पड़ने और धार्मिक हिंसा के बढ़ने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी संस्था के सदस्यों को इस साल की शुरुआत में भारत सरकार ने वीजा देने से इन्कार कर दिया था। संस्था के सदस्य भारत में दौरा करके यहां की स्थितियों को देखना चाहते थे। लेकिन भारत सरकार ने ऐसा कोई संवैधानिक प्रावधान न होने की बात कही थी।
पाक में अल्पसंख्यकों की दशा खराब
संस्था ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति बहुत ज्यादा खराब बताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान उन देशों में शामिल है जहां पर धार्मिक अल्पसंख्यकों की दशा सबसे ज्यादा खराब है। वहां पर खासतौर पर हिंदुओं पर हमले होते हैं।