बांग्लादेश सीमा समझौते पर राज्यसभा की मुहर
पड़ोसी बांग्लादेश के साथ दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद को पूर्ण विराम लगाने के प्रस्ताव को राज्यसभा ने मंजूरी दे दी है। यहां विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज की ओर से पेश किए गए 119वें संविधान संशोधन विधेयक पर सभी पार्टियों और सभी सदस्यों ने एक राय से सहमति
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पड़ोसी बांग्लादेश के साथ दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद को पूर्ण विराम लगाने के प्रस्ताव को राज्यसभा ने मंजूरी दे दी है। यहां विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज की ओर से पेश किए गए 119वें संविधान संशोधन विधेयक पर सभी पार्टियों और सभी सदस्यों ने एक राय से सहमति जताई। अब इस विधेयक के जल्दी ही लोकसभा में भी बिना किसी अड़चन के पास हो जाने की संभावना है।
भारत-बांग्लादेश भूमि समझौते (एलबीए) को मंजूरी देने का प्रस्ताव पेश करते हुए स्वराज ने माना कि यह बिल संप्रग सरकार की ओर से ही लाया गया था और इसमें सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया है। मगर उन्होंने इससे भारत की सीमाओं के सिकुडऩे की आशंकाओं को पूरी तरह निर्मूल बताया है। राज्यसभा में चर्चा के दौरान सपा के सदन के नेता रामगोपाल यादव और बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने यह आशंका जताई थी। खास बात है कि जब संप्रग सरकार ने 18 दिसंबर, 2013 को यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया था तब विपक्ष में बैठी भाजपा ने इसका जोरदार विरोध किया था और खुद स्वराज ने कहा था कि देश की एक इंच जमीन भी वे जाने नहीं देंगी। बुधवार को विदेश मंत्री ने कहा कि अब चूंकि संसद की स्थायी समिति में इस पर सहमति बन गई है तो सरकार उसका आदर करते हुए इसे ठीक उसी तरह पेश कर रही है।
स्वराज ने यह भी बताया कि इस समझौते के तहत जिन इलाकों की अदला-बदली होगी, उनमें रहने वाले लोगों को अनिवार्य रूप से नई नागरिकता नहीं लेनी होगी। अगर कोई इलाका भारत से बांग्लादेश में जा रहा है तो उसमें रहने वाले व्यक्ति को यह पूरी छूट होगी कि वह चाहे तो बांग्लादेश की नागरिकता ले या फिर भारत आकर यहां की नागरिकता ले।
बिल के मुताबिक, बांग्लादेश के साथ पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और मेघालय के क्षेत्रों की अदला-बदली की जानी है। पहले प्रस्तावित विधेयक में असम के हिस्से शामिल नहीं थे लेकिन आखिरकार सरकार इस पर भी सहमत हो गई। बांग्लादेश के साथ दशकों से बनी सीमा समस्या की वजह से देश में अवैध घुसपैठियों की समस्या भी बनी हुई है। मंगलवार को हुुई कैबिनेट की बैठक में इस बिल को हरी झंडी दिखाई गई थी।