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नक्षत्र दे रहे संकेत, फिर आ सकती है प्राकृतिक आपदा

चार अप्रैल को हनुमान जयंती पर पड़े चंद्रग्रहण और 15 दिन बाद 19 अप्रैल को हिन्दू पंचांग के बैषाख शुक्ल पक्ष पर मंगल, शनि व केतू की स्थिति के चलते प्रकृति में परिवर्तन आया है। ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाताओं ने इस बात की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी कि

By manoj yadavEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 10:16 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 10:53 AM (IST)
नक्षत्र दे रहे संकेत, फिर आ सकती है प्राकृतिक आपदा

रायपुर। चार अप्रैल को हनुमान जयंती पर पड़े चंद्रग्रहण और 15 दिन बाद 19 अप्रैल को हिन्दू पंचांग के बैषाख शुक्ल पक्ष पर मंगल, शनि व केतू की स्थिति के चलते प्रकृति में परिवर्तन आया है।

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ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाताओं ने इस बात की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी कि 19 अप्रैल के बाद प्रकृति में भीषण बदलाव आएगा और पृथ्वी के कुछ भाग में भूकंप की भी आशंका जताई गई थी। ज्योतिष की मानें तो वर्तमान में ग्रह नक्षत्रों का ऐसा संयोग है कि खतरा टला नहीं है और आने वाले कुछ दिनों में पुनः भूकंप या जल तत्व संबंधी आपदाएं आ सकती हैं।

शनि-मंगल के केन्द्र में होने से बनती है भूकंप की स्थिति

ज्योतिषी डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार हनुमान जयंती पर चंद्रप्रधान हस्त नक्षत्र में शनिग्रह की मान्यता वाले शनिवार को चंद्र ग्रहण का संयोग बना था और चंद्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण को ज्योतिष में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। ग्रहण के कारण समुद्र व पृथ्वी में अनेक परिवर्तन आते हैं।

पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के 15 दिन बाद अमावस्या तिथि पर पुनः शनिवार का संयोग बना था और शनि को कू्रर ग्रह माना जाता है। इस संयोग पर मंगल व केतू का भी प्रभाव था, इस तरह मेष राशि में चार ग्रहों का प्रकोप था और इसके अगले ही हफ्ते शनिवार को भूकंप ने अपनी विनाश लीला की और इस दौरान भी शनिवार एवं चंद्र प्रधान हस्त नक्षत्र का संयोग था। चूंकि मेष राशि से प्रभावित वाले क्षेत्र जापान और पूर्वोत्तर भारत के इलाके आते हैं, इसलिए भूकंप का असर नेपाल में हुआ।

इसी साल पुनः भूकंप की संभावना

डॉ.होस्केरे कहते हैं कि वर्तमान में चंद्र प्रधान राशि वाले कर्क लग्न और पुष्य नक्षत्र का योग है, जो प्राकृतिक आपदाओं का कारक माना जाता है। कुछ दिनों बाद आश्लेषा नक्षत्र भी पड़ रहा है और वह भी चंद्र प्रधान माना जाता है, इसलिए संभावना है कि इसी साल पृथ्वी को जल तत्व से भयंकर नुकसान हो सकता है और पृथ्वी के भीतर हलचल होगी, जिससे भूकंप की भी संभावना है। हमें इसके लिए सचेत रहना होगा।

संवत 2072 में मंगल जो है, वह रोहिणी नक्षत्र में गोचर करते हुए वृषभ राशि को नुकसान पहुंचाएगा इसलिए वृषभ राशि प्रभावित भारत के पड़ोसी देश चीन के पश्चिमी इलाके लद्दाख, काश्मीर, उत्तरी भारत, पाकिस्तान आदि क्षेत्रों में भूकंप के झटके आ सकते हैं।

[साभार-नई दुनिया]

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