उत्तराखंड: कांग्रेस बनाएगी सीबीआइ को सियासी मुद्दा
मुख्यमंत्री हरीश रावत पर सीबीआइ के शिकंजे को कांग्रेस प्रदेश में सियासी मुद्दा बनाने की तैयारी में है। खासतौर पर मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की स्थिति में पार्टी उसे भावनात्मक रंग देने की रणनीति पर काम कर रही है।
देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत पर सीबीआइ के शिकंजे को कांग्रेस प्रदेश में सियासी मुद्दा बनाने की तैयारी में है। खासतौर पर मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की स्थिति में पार्टी उसे भावनात्मक रंग देने की रणनीति पर काम कर रही है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की 26 मई को विस्तारित बैठक में कार्यकर्ताओं को कमर कसने के लिए कहा जा सकता है।
प्रदेश में कांग्रेस के भीतर बगावत और फिर राष्ट्रपति शासन लगने के मुद्दे पर पार्टी ने जगह-जगह बागियों और भाजपा को निशाना बनाते हुए लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकाली थी। 11 मई को कांग्रेस सरकार की बहाली के बाद पार्टी अपने विरोध प्रदर्शन पर विराम लगा चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में स्टिंग को लेकर सीबीआइ का शिकंजा कसने की स्थिति में पार्टी इसे सियासी मुद्दा बनाने की तैयारी में है। मंगलवार को नई दिल्ली में सीबीआइ के समक्ष मुख्यमंत्री हरीश रावत के पेश होने के मौके पर उनके समर्थन में प्रदेश से काफी संख्या में कांग्रेसी उमड़े।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ ही विधायक राजकुमार, विक्रम सिंह नेगी, सरिता आर्य और भाजपा से निलंबित विधायक भीमलाल आर्य भी दिल्ली में मुख्यमंत्री के तीन मूर्ति लेन स्थित आवास पर डेरा जमाए रहे।
सीबीआइ ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को अब सात जून को पूछताछ के लिए फिर तलब किया है। सीबीआइ के समक्ष पेश होने के मामले में मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी हाईकमान ने संयत तरीके से काम करने की हिदायत दी है। सीबीआइ की पूछताछ के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे स्वीकार भी किया कि पार्टी के कहने पर ही उन्होंने अपना स्टैंड तय किया है।
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पार्टी को अंदेशा है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत को सीबीआइ गिरफ्तार कर सकती है। इसके मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस कमेटी जल्द ही लाइन अप तय करने के मूड में है। दरअसल, आगामी विधानसभा को देखते हुए पार्टी यह मानकर चल रही है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआइ का शिकंजा कसने का सियासी फायदा उसे होना है। लिहाजा इस मुद्दे पर जन भावनाओं को उभारने का शिद्दत से प्रयास किया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की 26 मई को प्रस्तावित बैठक में कार्यकर्ताओं के साथ इस बाबत रणनीति तय की जा सकती है।
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