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हार्दिक पटेल के 'हाथ' आने के बाद जिग्नेश-अल्पेश पर कांग्रेस की निगाहें

गुजरात के चुनावी दांव में हार्दिक पटेल के साथ दलित-ओबीसी नेताओं को साधने में कांग्रेस इन दिनों पूरा जोर लगा रही है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 26 Sep 2017 08:21 AM (IST)Updated: Tue, 26 Sep 2017 01:25 PM (IST)
हार्दिक पटेल के 'हाथ' आने के बाद जिग्नेश-अल्पेश पर कांग्रेस की निगाहें
हार्दिक पटेल के 'हाथ' आने के बाद जिग्नेश-अल्पेश पर कांग्रेस की निगाहें

नई दिल्ली, संजय मिश्र। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने के हार्दिक पटेल के खुले संकेतों को बड़ी सियासी कामयाबी मान रही पार्टी अब सूबे के ओबीसी और दलित समाज के नेताओं को भी साथ लाने की पहल तेज करने में जुट गई है।

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गुजरात चुनाव से जुड़े कांग्रेस रणनीतिकारों की टीम इस कसरत में ओबीसी समुदाय के युवा नेता अल्पेश ठाकुर और सूबे में दलित नेतृत्व के नए चेहरे के रूप में सामने आए जिग्नेश मेवानी से संवाद कर रही है। गुजरात चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस इस बार सूबे के सामाजिक समीकरणों को दुरुस्त करने में बड़ा दांव लगा रही है।

पाटीदार समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे हार्दिक ने गुजरात की तीन दिन की चुनावी यात्रा पर पहुंचे राहुल गांधी के दौरे का स्वागत कर भाजपा की खिलाफत करने का साफ संदेश दे दिया। दो दशक से गुजरात की सत्ता से बाहर कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए अपने संगठन की ताकत से इतर जातीय-सामाजिक समीकरण को साधने की शिद्धत से जरूरत महसूस कर रही है। पटेल समुदाय जाहिर तौर पर गुजरात में भाजपा की बड़ी ताकत रहा है और हार्दिक के सहारे कांग्रेस इस प्रभावशाली समुदाय के अपने साथ आने की उम्मीद कर रही है।

पार्टी रणनीतिकारों ने राहुल के दौरे से पहले हार्दिक से उनकी यात्रा का स्वागत कराने की घोषणा के लिए पर्दे के पीछे काफी मेहनत की थी। गुजरात के प्रभारी पार्टी महासचिव अशोक गहलोत और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के अलावा राज्य के वरिष्ठ नेता हार्दिक समेत अन्य समुदायों के प्रभावशाली नेताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हैं।

हार्दिक के बाद चुनाव में सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश के तहत कांग्रेस ओबीसी के युवा नेता अल्पेश ठाकुर पर दांव लगा रही है। सूबे में ओबीसी के हितों की मुखर रूप से आवाज बुलंद कर रहे अल्पेश वैसे इस समय चतुर सियासी दांव खेल रहे हैं। सत्तारुढ़ भाजपा पर दबाव बनाने के लिए वे कांग्रेस के साथ रिश्तों का दरवाजा खोले रखने का संकेत दे रहे। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से भी ठोस वादा नहीं कर रहे। बहरहाल, अल्पेश 9 अक्टूबर को अपने कार्यक्रम में गुजरात चुनाव की अपनी राजनीतिक दिशा पर तस्वीर साफ करेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, हार्दिक के रुख के बाद अल्पेश पर भी कहीं न कहीं सत्ता विरोधी खेमे में आने का एक दबाव तो बढ़ेगा ही।

कांग्रेस रणनीतिकार अल्पेश के साथ आने को लेकर अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। मगर पार्टी दलित समुदाय के सबसे ताकतवर चेहरे के रूप में उभरे जिग्नेश मेवानी को लेकर काफी सकारात्मक है। पार्टी नेताओं का मानना है कि ऊना में दलित उत्पीड़न की घटनाओं के बाद जिग्नेश ने जिस तरह राज्य सरकार और भाजपा की सियासत के खिलाफ आवाज बुलंद की है, उसे देखते हुए कांग्रेस का समर्थन करना ही उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है।

हालांकि जिग्नेश को लेकर आश्वस्त होने के बावजूद पार्टी उनको साधने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। राहुल गांधी अगले 15 अक्टूबर तक चार चरणों में गुजरात के चारों क्षेत्रों की यात्रा पूरी करेंगे। कांग्रेस की रणनीतिक कोशिश यही है कि राहुल की इन्हीं यात्राओं के दौरान जिग्नेश और अल्पेश से भी हार्दिक की तरह पार्टी के समर्थन का ऐलान कराया जा सके।

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