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कांग्रेस प्रत्याशी हारा तो दांव पर सरकार

राष्ट्रपति चुनाव पर मुलायम और ममता ने मिलकर कांग्रेस को यूं ही नही चित कर दिया। दरअसल, दोनों ही कांग्रेस व उसकी सरकार से आजिज आ चुके हैं। अब कांग्रेस पर है कि वह राष्ट्रपति पद के लिए ममता, मुलायम के सुझाए नामों में किसी एक पर 'हां' करे, नहीं तो चुनाव होगा। राजनीतिक गणित यह है कि तब कांग्रेस प्रत्याशी हारा तो फिर सरकार को भी जाना पड़ सकता है।

By Edited By: Published: Wed, 13 Jun 2012 10:58 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2012 10:59 PM (IST)
कांग्रेस प्रत्याशी हारा तो दांव पर सरकार

नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। राष्ट्रपति चुनाव पर मुलायम और ममता ने मिलकर कांग्रेस को यूं ही नहीं चित कर दिया। दरअसल, दोनों ही कांग्रेस व उसकी सरकार से आजिज आ चुके हैं। अब कांग्रेस पर है कि वह राष्ट्रपति पद के लिए ममता, मुलायम के सुझाए नामों में किसी एक पर 'हां' करे, नहीं तो चुनाव होगा। राजनीतिक गणित यह है कि तब कांग्रेस प्रत्याशी हारा तो फिर सरकार को भी जाना पड़ सकता है।

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सूत्रों के मुताबिक, बहाना भले ही राष्ट्रपति चुनाव हो, लेकिन समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने संप्रग सरकार को समर्थन के बावजूद कांग्रेस से निपटने का मोटे तौर पर ब्ल्यूप्रिंट तैयार कर लिया है। दोनों इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि केंद्र में कई बार सरकार बचाने के बावजूद जरूरत के किसी मौके पर कांग्रेस ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। सपा को तो वह बात अब तक नहीं भूली है, जब 2008 में अमेरिका से परमाणु करार के लिए उसने मनमोहन सिंह की सरकार बचाने को दो दशक पुराने अपने वामपंथी साथियों से रिश्ते खराब कर लिए। जबकि, ममता बनर्जी तो महज तीन साल में ही इस कांग्रेस व उसकी सरकार के 'इस्तेमाल करो और फेंक दो' के रवैये से ऊब चुकी हैं। दोनों की यह समझ बनी है कि कांग्रेस उन्हें एक-दूसरे की कीमत पर इस्तेमाल करती है। लिहाजा उसे सबक सिखाना जरूरी हो गया है।

मुलायम और ममता ने राष्ट्रपति पद के लिए एपीजे अब्दुल कलाम, मनमोहन सिंह और सोमनाथ चटर्जी में किसी एक को प्रत्याशी बनाने का एलान कर कांग्रेस के खिलाफ दूर और देर तक लड़ाई का संदेश दिया है। सपा सूत्रों का कहना है, 'अब कांग्रेस को तय करना है कि वह इसमें किसी एक को प्रत्याशी बनाए। नहीं तो राष्ट्रपति का चुनाव होगा। तब संभव है कि कलाम ही लड़ें। सपा, तृणमूल के साथ राजग व कुछ दूसरे दलों की मदद से उनकी जीत हुई और कांग्रेस हारी तो फिर यह सरकार भी जाएगी। फैसला कांग्रेस को करना है'।

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