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भूमि अधिग्रहण पर केंद्र के पीछे हटने से उत्साहित कांग्रेस दिल्ली में करेगी बड़ी रैली

भूमि अधिग्रहण मामले में केंद्र सरकार के पीछे हटने से उत्साहित कांग्रेस देश की राजधानी में एक बड़ी रैली आयोजित करेगी। इस पूरे मामले को पार्टी के प्रयासों की जीत बता रही कांग्रेस इसे 'किसान विजय दिवस रैली' के रूप में मनाएगी। सितंबर के तीसरे सप्ताह प्रस्तावित इस रैली को

By Sudhir JhaEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 09:04 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 09:34 PM (IST)
भूमि अधिग्रहण पर केंद्र के पीछे हटने से उत्साहित कांग्रेस दिल्ली में करेगी बड़ी रैली

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भूमि अधिग्रहण मामले में केंद्र सरकार के पीछे हटने से उत्साहित कांग्रेस देश की राजधानी में एक बड़ी रैली आयोजित करेगी। इस पूरे मामले को पार्टी के प्रयासों की जीत बता रही कांग्रेस इसे 'किसान विजय दिवस रैली' के रूप में मनाएगी। सितंबर के तीसरे सप्ताह प्रस्तावित इस रैली को लेकर आधिकारिक घोषणा आठ सितंबर को होने वाली पार्टी की कार्यसमिति बैठक के बाद की जा सकती है।

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कांग्रेस की कोशिश किसानों के मुद्दों को लेकर आक्रामक रहे पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को इसके जरिए एक बार फिर 'री लांच' करने की है। दरअसल दस साल सत्ता के बाद भी पार्टी के पास ऐसा कोई मुद्दा नही था जो न केवल पार्टी के लिए सफल हो बल्कि उस सफलता के श्रेय से राहुल को जोड़ा जा सके। ऐसे में महज 44 लोकसभा सांसदों वाले विपक्ष के रूप में सरकार को बैकफुट पर ढकेलने और इसमें राहुल की प्रत्यक्ष भूमिका के मद्देनजर कांग्रेस इसे 'बड़े मौके' के रूप में देख रही है।

इस रैली के जरिए कांग्रेस न सिर्फ केंद्र में काबिज राजग सरकार को जमीनी चुनौती देगी बल्कि यहीं से राहुल की नई राजनीति का पहला अध्याय भी शुरू हो सकता है। जिन्हें बिहार चुनावों के बाद पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी देने की कवायद शुरू हो गई है। वहीं, बजट सत्र में शानदार राजनीतिक वापसी की राह पर राहुल के लिए यह पहला मौका होगा जब वे किसी बड़ी रैली में पार्टी समर्थकों के सामने होंगे। जबकि, उपलब्धि के तौर पर उनके पास भूमि अधिग्रहण को लेकर राजनीतिक लड़ाई और उसमें मिली सफलता का श्रेय भी होगा।

इस रैली को राहुल के अलावा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी संबोधित करेंगी। भूमि अधिग्रहण को लेकर राहुल गांधी देश भर में आंदोलन के जरिए विरोध कर रहे थे, वहीं सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों के संसद से राष्ट्रपति भवन तक के संयुक्त मार्च की अगुवाई की थी।

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