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    मणिपुर में कांग्रेस की हैट्रिक

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    Updated: Wed, 07 Mar 2012 03:37 PM (IST)

    कांग्रेस को पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव में मिले गहरे जख्मों पर मणिपुर का परिणाम मरहम जैसा है। मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार मणिपुर की सत्ता मिल गई है। प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जीत का अंतर इतना अच्छा है कि कांग्रेस अन्य राज्यों का दर्द सहते हुए भी यहां मुस्कुरा सकती है। प्रदेश की कुल साठ सीटों में से कांग्रेस ने दो तिहाई से भी अधिक सीटों [42] पर जीत हासिल की है।

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    इंफाल। कांग्रेस को पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव में मिले गहरे जख्मों पर मणिपुर का परिणाम मरहम जैसा है। मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार मणिपुर की सत्ता मिल गई है। प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जीत का अंतर इतना अच्छा है कि कांग्रेस अन्य राज्यों का दर्द सहते हुए भी यहां मुस्कुरा सकती है। प्रदेश की कुल साठ सीटों में से कांग्रेस ने दो तिहाई से भी अधिक सीटों [42] पर जीत हासिल की है।

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    तृणमूल कांग्रेस सात सीटों पर विजय पताका फहराकर दूसरे स्थान पर है। मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी [एमएससीपी] को पांच, नगा पीपुल्स फ्रंट [एनपीएफ] को चार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी [राकांपा], लोक जनशक्ति पार्टी [लोजपा] को एक-एक सीट मिली हैं।

    मुख्यमंत्री इबोबी सिंह ने थोउबल सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की इंदिरा ओइनम को पंद्रह हजार से भी अधिक मतों से हरा कर विजेता घोषित हुए। उनकी पत्‍‌नी लांधोनी देवी भी खांगाबोक सीट पर मणिपुर पीपुल्स पार्टी [एमपीपी] के उम्मीदवार को नौ हजार मतों से हराकर विजयी रहीं। इबोबी सिंह पूर्वोत्तर के राज्यों के दूसरे मुख्यमंत्री हैं जो लगातार तीसरी बार कांग्रेस को सत्ता का स्वाद चखाया है। असम में कांग्रेस के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ही यह करिश्मा कर पाए हैं। इससे पहले इबोबी वर्ष 2002 और वर्ष 2007 में मणिपुर में कांग्रेस को सत्ता दिला चुके हैं। कांग्रेस की यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि कम से कम सात उग्रवादी संगठनों ने कांग्रेस पर प्रतिबंध लगा रखा था। उग्रवादियों ने कांग्रेस के कई उम्मीदवारों पर हमले भी किए थे। इसके अलावा कांग्रेस के विरोध में ग्यारह दल एकजुट होकर मैदान में थे।

    इस विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों को करारा झटका लगा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राधाबिनोद कोइजाम को हार का सामना करना पड़ा है। कोइजाम प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और पिछली विधानसभा में नेता विपक्ष थे। कोइजाम को ग्यारह गैर कांग्रेसी दलों को एकजुट करके पीपुल्स डेमोक्रेटिक एलायंस [पीडीए] नामक कांग्रेस विरोधी मोर्चा बनाने में श्रेय भी जाता है। पीडीए में राकांपा, एमपीपी, भाकपा, माकपा, जदयू, नेशनल पीपुल्स पार्टी, एमएससीपी, तृणमूल कांग्रेस, लोजपा, भाजपा और एनपीएफ शामिल हैं।

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