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जीएसटी दर पर कांग्रेसी प्रस्ताव में फंसा पेंच

जीएसटी विधेयक पारित करवाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच हुई बातचीत से कोई फायदा होगा या नहीं तो यह बाद में पता चलेगा लेकिन जीएसटी पर कांग्रेस की सबसे अहम मांग को लेकर सरकार बहुत उत्साह में नहीं

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 09:45 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 09:57 PM (IST)
जीएसटी दर पर कांग्रेसी प्रस्ताव में फंसा पेंच

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी विधेयक पारित करवाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच हुई बातचीत से कोई फायदा होगा या नहीं तो यह बाद में पता चलेगा लेकिन जीएसटी पर कांग्रेस की सबसे अहम मांग को लेकर सरकार बहुत उत्साह में नहीं है। यह मांग जीएसटी विधेयक के तहत 18 फीसद की कर सीमा तय करने को लेकर है। केंद्र सरकार ने इसे 20 से 22 फीसद करने का मन बनाया था। सरकार का मानना है कि 18 फीसद की सीमा कई उद्योगों के लिहाज से कम होगा। यह न सिर्फ घरेलू उद्योग में असमानता को बढ़ावा देगा बल्कि कई उद्योगों पर इसका उल्टा असर भी पड़ेगा।

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जीएसटी को लेकर गंभीर प्रयास शुरू हो गए हैं और खुद प्रधानमंत्री ने कवायद तेज कर दी है। इसी क्रम में शुक्रवार को सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह चाय पर आए तो उन्हें सरकार ने आर्थिक पेंच समझाने की कोशिश की। सूत्रों के अनुसार मनमोहन कुछ मुद्दों पर सरकार के पक्ष से थोड़े सहमत हैं। लेकिन सोनिया गांधी पार्टी में विचार मशविरा के बाद ही कोई आश्वासन देना चाहती है। संभव है कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच और बैठकें हों। कोशिश यह होगी कि दोनों एक एक कदम आगे बढ़ें।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की तरफ से मैन्यूफैक्चरिंग राज्यों पर लगाये जाने वाले एक फीसद अधिभार को हटाने का कांग्रेस के प्रस्ताव को स्वीकार किया जा सकता है। साथ ही जीएसटी परिषद में केंद्र व राज्यों के प्रतिनिधित्व को किस तरह से शामिल किया जाए इस बारे में भी कांग्रेस के सुझाव को शामिल करने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जीएसटी की दर को शुरुआत में ही 18 फीसद की सीमा तय करने से कई तरह के गलत संकेत जाएंगे। इसका सबसे बड़ा असर तो यह होगा कि कई तरह की लग्जरी सामानों पर जो स्थानीय कर की दर अभी काफी ज्यादा है वह काफी कम हो जाएगा। मसलन, कई लग्जरी गाडि़यों पर अभी 30 फीसद की दर से कर लगाया जाता है।

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कांग्रेस का सुझाव मानने का मतलब हुआ लग्जरी गाडि़यों पर कर में भारी छूट। इससे पूरे वाहन उद्योग में भारी उथल पुथल हो सकता है। अगर शुल्क घटने से भारी वाहनों मसलन एसयूवी वगैरह की कीमतों में कमी होती है तो इसका दूसरे पर्यावरण व अन्य असर भी पड़ेंगे। यह सिर्फ उदाहरण है। कई तरह की लग्जरी उत्पादों पर कर की दर इसलिए भी 22 फीसद रखना जरुरी है ताकि घरेलू उद्योगों को विदेशी कंपनियों के मुकाबले संरक्षण मिलता रहे। इनकी दर को बहुत ज्यादा घटाने से घरेलू कंपनियों के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है।

सूत्रों के मुताबिक कर की सीमा तय करने का मतलब हुआ कि आगे जब भी किसी खास परिस्थिति में कर बढ़ाने की जरुरत होगी तो उसके लिए संविधान संशोधन की जरुरत होगी। मसलन, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सरकार कई बार विशेष कर लगाती है। अभी यह सरकार की तरफ से एक अधिसूचना जारी करने के बाद संभव हो पाता है। लेकिन जीएसटी विधेयक में अगर संविधान संशोधन के जरिए कर की सीमा 18 फीसद कर दिया जाए तो फिर जब भी इस सीमा से ज्यादा कर लगाने की जरुरत होगी तो संविधान संशोधन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

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