भारतीय जनता पार्टी के योगी दांव पर फिलहाल संयम बरत रही कांग्रेस
पार्टी सूत्रों के अनुसार उत्तरप्रदेश में भाजपा के इस दांव पर कांग्रेस नेतृत्व सपा, एनसीपी, द्रमुक, राजद, जदयू आदि से सलाह मशविरा करेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारी भरकम बहुमत के बाद भी उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के भाजपा के दांव से विपक्षी दल भी हैरत में हैं। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों की नजर में योगी की ताजपोशी कर भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में स्पष्ट ध्रुवीकरण का सियासी रोडमैप तय कर लिया है। भाजपा की इस रणनीति के मद्देनजर ही योगी पर राजनीतिक हमला करने में विपक्षी पार्टियां फिलहाल जल्दबाजी करने का जोखिम नहीं लेना चाहतीं।
उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन खो चुकी कांग्रेस तो खास तौर पर सावधानी बरत रही है। शायद इसीलिए पार्टी ने योगी के मुख्यमंत्री बनने पर सीधे वार करने की बजाय कुछ सवालों के जरिए नए मुख्यमंत्री और भाजपा का राजनीतिक मिजाज भांपने की कोशिश की है।
कांग्रेस की ओर से पार्टी मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला की ओर से जारी एक बयान में कुछ इसी तरह का संकेत देने की कोशिश की गई। इसमें योगी सरकार के आने के बाद विकास के दावों-प्रतिदावों के सवालों और सियासत के थमने की उम्मीद जताई गई है। तो कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी सीधे वार करने की बजाय ट्विट कर योगी के मुख्यमंत्री बनने के पीछे के एजेड़े की ओर साफ इशारा किया। साथ ही योगी के पुराने मुस्लिम विरोधी रुझानों को दर्शाने के लिए सबका साथ सबका विकास में उनके हिसाब से सबका में कौन शामिल हैं इसकी तस्वीर साफ करने की बात उठाई है।
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कांग्रेस वैसे योगी आदित्यनाथ की उग्र राजनीतिक धारा की मुखर विरोधी रही है। मगर उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की अभूतपूर्व जीत के बाद वह अब जल्दबाजी में राजनीतिक लाइन खींच कर आगे बढ़ने का खतरा नहीं लेना चाहती। इसलिए राजनीतिक विचाराधारा के स्तर पर योगी शैली की सियासत की मुखर विरोधी होने के बावजूद पार्टी संयम बरत रही है। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के साथ सूबे में उसकी खत्म हो चुकी सियासी प्रासंगिकता पार्टी के इस संयम की मजबूरी है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार उत्तरप्रदेश में भाजपा के इस दांव पर कांग्रेस नेतृत्व सपा, एनसीपी, द्रमुक, राजद, जदयू आदि से सलाह मशविरा करेगा। ताकि अगले लोकसभा चुनाव के लिहाज से आगे की राजनीतिक दिशा तय की जा सके। पार्टी का मानना है कि वैसे भी इतने बड़े बहुमत के बाद बनी सरकार के मुखिया पर तत्काल हमला बोलना राजनीतिक चतुरता नहीं होगी। योगी सरकार के कामकाज और राजनीतिक अंदाज का थोड़े समय तक आकलन करने के बाद ही पार्टी के लिए कुछ कहना मुनासिब होगा।
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