मुकाबले में आने के लिए लड़ रही कांग्रेस
दिल्ली के चुनावी दंगल में भाजपा और आप अगर सरकार बनाने की लड़ाई लड़ रही हैं तो कांग्रेस का संघर्ष सरकार में शामिल होने की हैसियत जुटाने के लिए है। चुनाव से महज सप्ताह भर पहले हुए पार्टी के आंतरिक सर्वे में कांग्रेस का आंकड़ा दो अंकों के पार नहीं
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के चुनावी दंगल में भाजपा और आप अगर सरकार बनाने की लड़ाई लड़ रही हैं तो कांग्रेस का संघर्ष सरकार में शामिल होने की हैसियत जुटाने के लिए है। चुनाव से महज सप्ताह भर पहले हुए पार्टी के आंतरिक सर्वे में कांग्रेस का आंकड़ा दो अंकों के पार नहीं पहुंच पा रहा है। सर्वे के मुताबिक राज्य की 15 सीटों पर मजबूती से लड़ रही कांग्रेस को महज पांच सीटों पर जीत हासिल होती दिख रही है। जबकि, दो सीटों पर पार्टी जीत की संभावना को परिणाम में बदल सकती है।
कांग्रेस रणनीतिकारों के मुताबिक दिल्ली त्रिशंकु विधानसभा की ओर जा रही है। ऐसे में पार्टी अगर दर्जन भर सीटें ले आती है, तो उसके बिना राज्य में सरकार नहीं बन पाएगी। ऐसी स्थिति में आप को मजबूरी में उसे समर्थन देना या लेना पड़ेगा।
सर्वे के मुताबिक तमाम कोशिशों के बावजूद पार्टी को मुस्लिम मतों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अपने कोर वोटरों का विश्वास जीतने में लगी कांग्रेस की कामयाबी के लिए मुस्लिम व निचले तबके बेहद अहम हैं। अपने परंपरागत मतदाताओं को वापस पाने के लिए कांग्रेस आप से होड़ कर रही है। पार्टी को लगता है कि एक बार भाजपा के सामने मुकाबले में आने के बाद इस तबके का एकमुश्त वोट उसे ही मिलेगा।
कांग्रेस ने दिल्ली में सबसे अधिक छह मुस्लिम प्रत्याशी दिए हैं। राज्य में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद करीब 11 फीसद है और ये 22 सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं।
मध्य दिल्ली की तीन व पूर्वी दिल्ली की पांच सीटों पर मुस्लिम मतों की तादाद 35 से 40 फीसद तक है। पिछली बार कांग्रेस को इनमें से चार सीटों पर कामयाबी मिली थी। इस बार इन सीटों पर आम आदमी पार्टी की पहुंच ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है। ऐसे में कांग्रेस भाजपा के मुकाबले में खुद को आगे रखकर आप से मानसिक लड़ाई जीतने के लिए संघर्ष में फंसी दिख रही है।
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