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दिल्‍ली चुनाव: रैली में कम भीड़ के डर से बचने को कांग्रेस की पदयात्रा

अपने नेता को रैलियों में जुटने वाली भीड़ की कसौटी पर कसे जाने से बचाने के लिए कांग्रेस अब पद यात्राओं के आसरे है। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी की महज एक व दो जनसभाओं के मद्देनजर पार्टी राज्य में राहुल के रोड शो की

By T empEdited By: Published: Sun, 25 Jan 2015 09:14 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jan 2015 01:50 PM (IST)
दिल्‍ली चुनाव: रैली में कम भीड़ के डर से बचने को कांग्रेस की पदयात्रा

नई दिल्ली। अपने नेता को रैलियों में जुटने वाली भीड़ की कसौटी पर कसे जाने से बचाने के लिए कांग्रेस अब पद यात्राओं के आसरे है। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी की महज एक व दो जनसभाओं के मद्देनजर पार्टी राज्य में राहुल के रोड शो की संख्या बढ़ाना चाह रही है। जबकि राज्य में विपरीत राजनीतिक धारा का एहसास कर चुका नेतृत्व इस जोखिम को लेने को तैयार नहीं है।

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दिल्ली में 7 फरवरी को विधानसभा चुनाव हैं। दिल्ली के राजनीतिक मिजाज को देखते हुए उपाध्यक्ष राहुल फूंक-फूंक कर चल रहे हैं। अपनी टीम की सलाह व दिल्ली चुनावों के ठीक बाद संगठन चुनाव प्रक्रिया के पूरे होने व पार्टी में बड़े परिवर्तन से पहले राहुल इस तरह के ‘एक्सपोजर’ से बचना चाह रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने राज्य में रोड शो की संख्या बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। वह पहले के प्रस्तावित चुनाव प्रचार कार्यक्रम में बदलाव नहीं चाहते। रोड शो न करने के पीछे आधिकारिक कारण सुरक्षा को बताया जा सकता है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में भीड़ को लेकर आम आदमी पार्टी के तंज को लेकर चौकन्नी ‘टीम राहुल’ अपने नेता को इस प्रकार की तुलना से बचाना चाह रही है। दिल्ली के पिछले विधानसभा चुनाव में भी राहुल की चुनावी सभा में मैदान छोड़ रही भीड़ को रोकने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की ‘राहुल को सुन लो..’ की चिरौरी वाले दृश्य भी ‘टीम राहुल’ के सामने हैं।

राज्य में लवली की जगह माकन को चेहरा बनाए जाने को लेकर भी पार्टी का एक वर्ग उपाध्यक्ष राहुल से नाराज है। ऐसे में राहुल राज्य में सीमित प्रचार के अपने पुराने एजेंडे पर चलते नजर आएंगे। राहुल ने हाल ही में खत्म हुए झारखंड व जम्मू कश्मीर के चुनावों में भी सीमित प्रचार की रणनीति पर चलते दिखे थे। जबकि, दिल्ली में कांग्रेस के प्रचार की धीमी गति को देखते हुए पार्टी को शीर्ष नेतृत्व को मैदानी समर्थन की आवश्यकता बेहद जरूरी हो गई है। ऐसे में चुनावी रणनीतिकारों को लगता है कि राहुल का रोड शो पार्टी के लिए संजीवनी बन सकता है। पार्टी को लगता है कि रैलियों के लिए होने वाले ताम-झाम व भीड़ के पैमाने पर सफलता के आकलन को देखते हुए राजधानी के संकरे रास्तों में रोड शो ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं।

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