पिछड़ती कांग्रेस को सोनिया का सहारा
लोकसभा चुनाव के चार चरण समाप्त होने के बाद कांग्रेस को अपनी भूल का अहसास होने लगा है। चुनाव संचालन में अहम भूमिका निभा रहे नेताओं को लग रहा है कि प्रचार के केंद्र में सोनिया गांधी ज्यादा प्रभावी और मददगार हो सकती हैं। ऐसे में देर से ही सही चुनाव अभियान का नेतृत्व सोनिया के हाथ में सौंप
नई दिल्ली [सीतेश द्विवेदी]। लोकसभा चुनाव के चार चरण समाप्त होने के बाद कांग्रेस को अपनी भूल का अहसास होने लगा है। चुनाव संचालन में अहम भूमिका निभा रहे नेताओं को लग रहा है कि प्रचार के केंद्र में सोनिया गांधी ज्यादा प्रभावी और मददगार हो सकती हैं। ऐसे में देर से ही सही चुनाव अभियान का नेतृत्व सोनिया के हाथ में सौंपने की तैयारी हो गई है।
लोकसभा चुनावों में पीछे दिख रही कांग्रेस में आत्ममंथन का दौर शुरू हो गया है। पार्टी न सिर्फ प्रचार अभियान में पीछे चल रही है, बल्कि अपनी मजबूत सीटों को गंवाती हुई भी दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक, पंजाब को छोड़कर पार्टी के लिए देश भर में संकेत सकारात्मक नही हैं। कांग्रेस के मजबूत गढ़ माने जाने वाले कर्नाटक में भी पार्टी लगातार पीछे खिसक रही है, जबकि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी का खेल भितरघाती खराब कर रहे हैं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में समन्वय की कमी और मुद्दों को लेकर एकराय न होने के कारण पार्टी एक इकाई के रूप में चुनावी मैदान में उतरने में नाकाम रही है। ऐसे में पार्टी ने अंदरखाने स्वीकार कर लिया है कि चुनाव सोनिया के नेतृत्व में लड़े जाते तो बेहतर होता। राहुल गांधी के नेतृत्व पर तो सवाल नहीं उठ रहे हैं, लेकिन पार्टी को यह भी लग रहा है कि उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ना गलत फैसला था।
इस मंथन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने कमान संभालने के संकेत भी दिए हैं। सोमवार को उन्होंने टीवी चैनलों पर विचारधारा और भारतीय संस्कृति का हवाला देते हुए भावुक अपील की थी। इसके साथ पार्टी ने बड़े मुद्दों की ओर लौटने के संकेत भी दे दिए हैं। पार्टी सोनिया की रैलियों की संख्या भी बढ़ाने पर विचार कर रही है। हालांकि, इसका फैसला उनके स्वास्थ्य को देखते हुए लिया जाएगा। पार्टी को लगता है कि सोनिया की छवि और देश में उनकी त्याग की छवि को देखते हुए आने वाले चरण में खासकर हिंदी पट्टी में वापसी कर सकती है।
तीसरे मोर्चे की सरकार को समर्थन नहीं : कांग्रेस
नई दिल्ली : कांग्रेस ने तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने के लिए किसी भी तरह के समर्थन से साफ इन्कार कर दिया है। कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने जोर देकर कहा कि केंद्र में संप्रग-तीन की सरकार ही बनेगी। माकन सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बयान का जवाब दे रहे थे। मुलायम ने कहा था, 'मौजूदा रुझान से साफ है कि भाजपा सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें नहीं जीत पाएगी। कांग्रेस चुनाव बाद सबसे कमजोर पार्टी बनकर उभरेगी। ऐसे में तीसरे मोर्चे से जुड़े दलों को अच्छी सीटें मिलेंगी। तीसरा मोर्चा ही सरकार बनाएगा।'
'कांग्रेस का नया नारा है, मैं नहीं मॉम। राहुल गांधी के नेतृत्व वाले प्रचार अभियान को हटाकर सोनिया गांधी को आगे आना पड़ा है। सोनिया ने टीवी पर समय खरीदकर देश को संदेश दिया। कांग्रेस को आखिरी मौके पर चुनावी एजेंडा बदलने से कोई फायदा नहीं मिलने वाला।' -अरुण जेटली, वरिष्ठ भाजपा नेता
'मुझे नहीं लगता कि इसमें थोड़ी भी सच्चाई है कि अब सोनिया गांधी प्रचार अभियान की कमान संभालेंगी। वह कांग्रेस प्रचार समिति की अध्यक्ष हैं और प्रचार कर रही हैं।'-अजय माकन, कांग्रेस मीडिया प्रभारी
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सोनिया-राहुल पर भाजपा का पलटवार
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। नरेंद्र मोदी का डर दिखा रही कांग्रेस पर भाजपा ने पलटवार में देर नहीं लगाई। देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही रैलियों में खुद मोदी, तो दिल्ली मे भाजपा प्रवक्ता ने सोनिया गांधी के देश के नाम संबोधन के बहाने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए। साथ ही राहुल की ओर से लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों का सहारा लेकर राबर्ट वाड्रा का विवाद भी ताजा कर दिया है।
सोमवार को टीवी पर अपने संबोधन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जनता को आगाह किया था कि भाजपा विभाजन की राजनीति करती है और उसके शासन में आने पर भारतीयता खत्म हो जाएगी। राहुल ने गुजरात सरकार पर सीधा आरोप जड़ा था कि हजारों एकड़ जमीन मुफ्त में बड़ी कंपनियों को बांट दी गई। मंगलवार को खुद मोदी ने सोनिया और राहुल को जवाब दिया, जबकि भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'स्पष्ट हो गया है कि राहुल के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस निराश हो गई है। यही कारण है कि अब फिर सोनिया को आगे आना पड़ा है।' वहीं, कहा कि कौड़ियों के भाव जमीन देने की जो बात राहुल कर रहे हैं वह काम कांग्रेस समर्थित शंकर सिंह वाघेला सरकार ने किया था। जावड़ेकर ने राहुल से पूछा कि भाजपा पर आरोप लगाने के बजाय उन्हें यह बताना चाहिए कि वाड्रा ने जिस तरह जमीन के कारोबार में करोड़ों-अरबों कमाए उसमें किसका साथ था। राष्ट्रपति भवन के नजदीक बन रही बहुमंजिली इमारत में भी वाड्रा की क्या भूमिका है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की थी कि वाड्रा की भूमिका की सीबीआइ और सीवीसी से जांच कराई जाए। जावड़ेकर ने कहा कि पूर्व कोयला सचिव की किताब में भी साफ हो गया है कि कांग्रेस के नेताओं ने कोयला ब्लॉक में बंदरबांट की।