लोकसभा में नहीं होगा नेता प्रतिपक्ष, स्पीकर ने दिया नियमों का हवाला
संकेत तो पहले ही स्पष्ट था, अब औपचारिक रूप से भी तय हो चुका है कि लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं होगा। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर बता दिया है कि दस फीसद की जरूरी संख्या से पीछे खड़ी कांग्रेस को वह यह पद नहीं दे सकती हैं। यह और बात है कि सरकार ने कुछ जरूरी समितियों में नेता प्रतिपक्ष की जगह सदन में विपक्ष के बड़े दल के नेता को शामिल करने का मन बना लिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संकेत तो पहले ही स्पष्ट था, अब औपचारिक रूप से भी तय हो चुका है कि लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं होगा। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर बता दिया है कि दस फीसद की जरूरी संख्या से पीछे खड़ी कांग्रेस को वह यह पद नहीं दे सकती हैं। यह और बात है कि सरकार ने कुछ जरूरी समितियों में नेता प्रतिपक्ष की जगह सदन में विपक्ष के बड़े दल के नेता को शामिल करने का मन बना लिया है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर उसी दिन से चर्चा तेज है, जिस दिन नतीजे आए थे। दरअसल मोदी सरकार को मिले प्रचंड बहुमत में कांग्रेस न सिर्फ अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई बल्कि दस फीसद यानी 55 सीट भी नहीं पा सकी थी। ऐसे में कांग्रेस कानूनन नेता प्रतिपक्ष के पद की हकदार नहीं रह गई थी। लेकिन दबाव जारी था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाजन को पत्र लिखकर औपचारिक रूप से भी इसकी मांग की थी। स्पीकर ने अटार्नी जनरल से भी इस पर राय मांगी थी। बजट सत्र खत्म होने के कुछ ही दिनों के अंदर औपचारिक फैसला ले लिया गया। बताते हैं कि सुमित्रा महाजन ने 1980 और 1984 का हवाला देते हुए कहा कि वह कानून की अवहेलना नहीं कर सकती हैं। कांग्रेस जरूरी दस फीसद से कम है लिहाजा नेता प्रतिपक्ष का पद उसे नहीं दिया जा सकता है।
सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि वह महाजन की चिट्ठी देखने के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगे। लेकिन उन्हें दस फीसद संख्या बल को लेकर अडिग नहीं होना चाहिए था। कई महत्वपूर्ण पदों पर नेता प्रतिपक्ष से सलाह मशविरे की जरूरत होती है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए नेता प्रतिपक्ष जरूरी होता है। कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने भी सतर्क टिप्पणी करते हुए कहा कि वह महाजन के निर्णय को राजनीतिक नहीं कहेंगे। लेकिन यह जरूर जानना चाहते हैं कि भाजपा नेताओं को इसकी जानकारी पहले से कैसे थी?
ध्यान रहे कि दोनों सदनों मे नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लोकपाल, सीवीसी आदि जैसे पदों पर होने वाली नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होता है। हाल में न्यायिक नियुक्ति के लिए प्रस्तावित समिति में सरकार ने नेता विपक्ष के अभाव को देखते हुए ही विपक्ष के बड़े दल के नेता को शामिल करने का फैसला किया था।
'मैंने नियमों और परंपराओं के अनुसार फैसला किया है।'
-सुमित्रा महाजन, स्पीकर लोकसभा
'लोकसभा अध्यक्ष को दस फीसद संख्या को लेकर अडिग नहीं होना चाहिए था। मुझे नहीं पता वह इस पर क्यों अड़ी रहीं। वैसे हाईकमान और कांग्रेस की विधि प्रकोष्ठ से सलाह के बाद ही कोई टिप्पणी करूंगा।'
-मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस नेता
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