मोदी शासन के सौ दिन पर कांग्रेस ने पेश की काली किताब
मोदी सरकार के सौ दिनों पर कांग्रेस ने एक 'ब्लैक बुक' जारी की है। 16 पन्नों वाली इस पुस्तिका में भाजपा के चुनावी नारों पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस ने मोदी सरकार को 'खोखले वादे वाली निकम्मी सरकार' का तमगा दिया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मोदी सरकार के सौ दिनों पर कांग्रेस ने एक 'ब्लैक बुक' जारी की है। 16 पन्नों वाली इस पुस्तिका में भाजपा के चुनावी नारों पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस ने मोदी सरकार को 'खोखले वादे वाली निकम्मी सरकार' का तमगा दिया है।
उपचुनावों में मिली सफलता से उत्साहित कांग्रेस ने भाजपा और मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अपनी हार को स्वीकार करते हुए उसे अप्रत्याशित बताया और भाजपा पर लोगों को गुमराह करने का आरोप जड़ा है। भाजपा के 'कांग्रेस मुक्त भारत' के नारे पर सवाल उठाते हुए पार्टी ने कहा है, आम चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के मतों के बीच महज छह करोड़ वोटों का अंतर रहा है। ऐसे में भाजपा का यह नारा खोखला है। पार्टी ने उपचुनावों में मिली जीत के हवाले से कहा है, 'जैसे-जैसे भाजपा के वादों की असलियत खुलेगी जनता उससे दूर होती चली जाएगी।' भाजपा के महंगाई, महिला सुरक्षा, काले धन, सांप्रदायिकता जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए कांग्रेस ने इन नारों की हकीकत को लेकर सवाल उठाए हैं।
सीमा पर पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम के उल्लंघन को लेकर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा है, 'सौगंध मुझे इस मिटटी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा का नारा देने वाले प्रधानमंत्री पाकिस्तानी आम खा रहे हैं जबकि हमारे जवान सीमा पर गोली खा रहे हैं।' चीन को लेकर भी पार्टी ने सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस ने मोदी सरकार को 'न्यूनतम शासन, न्यूनतम प्रतिभा व अधिकतम अविश्वास' वाली सरकार बताया है। पार्टी ने केंद्र सरकार के मंत्रियों निहाल चंद, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, रामविलास पासवान, संजीव बालियान और उमा भारती पर आपराधिक मामले दर्ज होने का आरोप लगाते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पर लगे आरोपों पर प्रधानमंत्री की ओर से आई सफाई पर भी सवाल उठाया है।
उपचुनाव की जीत से राहत में कांग्रेस
लोकसभा चुनावों में शर्मनाक हार के बाद आंतरिक असंतोष से उबल रही कांग्रेस को उपचुनावों की सफलता ने संजीवनी दे दी है। इन नतीजों ने हाशिये पर खड़ी कांग्रेस पार्टी और संगठन के भीतर ही आलोचना के केंद्र में आए पार्टी आलाकमान को विरोध से पार पाने का मौका दे दिया है। पार्टी में बगावती रुख अपनाए नेताओं और विधानसभा चुनावों में जाने से पहले सहयोगियों की धौंस सह रही कांग्रेस बदली हुई परिस्थितियों में पहले घर फिर बाहर के हालात से कड़ाई से निपटने की तैयारी में है।
बिहार व उत्तराखंड के उपचुनावों में मिली सफलता के बाद राजस्थान व गुजरात में मिली जीत व उत्तर प्रदेश में पार्टी के बढ़ा हुआ मत फीसद को पार्टी अपने 'अच्छे दिनों' का संकेत मान रही है। चुनावी हार व पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर हो रहे आक्रमण के बीच पार्टी के बढि़या प्रदर्शन ने बचाव की मुद्रा में आए कांग्रेस नेतृत्व को एक बार फिर आक्रमक होने का मौका दे दिया है। पार्टी में नेतृत्व को लेकर उठ रही आवाजों के सुर भी अपने आप धीमे पड़ गए हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर बदलाव लाने की कांग्रेस आलाकमान की कोशिशों के एक बार फिर तेज होने की संभावना है। विदेश दौरे पर गए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सप्ताहांत लौटने के बाद पार्टी में कुछ कड़े निर्णय लिए जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी संगठन में कमजोर पड़ते अनुशासन को लेकर कुछ प्रतीकात्मक कार्रवाई कर सकती है। इसके अंतर्गत पार्टी के कुछ नेताओं को पार्टी आलाकमान सफाई देने के लिए बुला सकता है।
दरअसल विधानसभा चुनावों के बाद होने वाले संगठन के फेरबदल व उसी समय चिंतन शिविर होने की संभावना के बीच कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व पार्टी को भविष्य के बदलाव के लिए तैयार कर लेना चाहता है। मोदी को घेरने में जुटी कांग्रेस को लगता है कि उपचुनावों में पार्टी को मिली सफलता से एक बार फिर कांग्रेस के झंडे तले धर्मनिरपेक्ष दलों को जमावड़ा हो सकेगा।