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कांग्रेस का दोहरा चरित्र बेनकाब

केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक रद करने के फैसले का श्रेय कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दे रही है। इसकी आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि इस विधेयक का विरोध करने से कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागर

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 09:39 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 10:11 PM (IST)
कांग्रेस का दोहरा चरित्र बेनकाब

मुंबई। केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक रद करने के फैसले का श्रेय कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दे रही है। इसकी आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि इस विधेयक का विरोध करने से कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागर हो गया है।

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केंद्रीय भूतल परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री गडकरी यहां पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब जो राज्य विकास करना चाहते हैं, वे भूमि अधिग्रहण संबंधी अपना कानून खुद बना सकते हैं।

गडकरी का कहना है कि केंद्र द्वारा भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक लाए जाने के बाद से ही कांग्रेस दोहरी भूमिका निभाती आ रही है। पिछले वर्ष हुई बैठक में कांग्रेसशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने संप्रग-दो के कार्यकाल में तैयार भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध करते हुए उसमें बदलाव की मांग की थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने सभी के विचारों को शामिल करके ही यह विधेयक लाने का फैसला किया था, लेकिन कांग्रेस की बैठक में जो भूमिका नजर आई थी, उससे बिल्कुल विपरीत भूमिका में वह संसद में और उसके बाहर नजर आई।

गडकरी ने कहा कि इस विधेयक को पास कराने लायक बहुमत हमारे पास राज्यसभा में नहीं है। हम राज्यसभा में इस पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने सदन को चलने ही नहीं दिया। गडकरी के अनुसार यह विधेयक पारित होने से किसानों को उनकी भूमि का उचित मुआवजा मिलता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी मिलती। लेकिन कांग्रेस के विकास विरोधी रवैया के कारण एक अच्छा विधेयक पारित होने से रह गया।

उधर, सोमवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चह्वाण ने भूमि अधिग्रहण विधेयक रद किए जाने का श्रेय कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दिया। उन्होंने कहा कि इन दोनों नेताओं के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा संसद के अंदर एवं बाहर किए गए आंदोलनों के कारण ही सरकार यह विधेयक रद करने के लिए बाध्य हुई है।


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