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हार के बाद कांग्रेस में फिर उठी 'प्रियंका लाओ' की आवाज

लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार के लिए जिम्मेदार टीम राहुल एक बार फिर सवालों के घेरे में है। महाराष्ट्र व हरियाणा की हार के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इन्हें ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वैसे वरिष्ठ नेता फिलहाल भले ही खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन चंद युवा कांग्रेसियों ने पार्टी मुख्यालय के बाहर 'प्रियंका लाओ

By Sachin kEdited By: Published: Mon, 20 Oct 2014 01:11 AM (IST)Updated: Mon, 20 Oct 2014 01:11 AM (IST)
हार के बाद कांग्रेस में फिर उठी 'प्रियंका लाओ' की आवाज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार के लिए जिम्मेदार टीम राहुल एक बार फिर सवालों के घेरे में है। महाराष्ट्र व हरियाणा की हार के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इन्हें ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वैसे वरिष्ठ नेता फिलहाल भले ही खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन चंद युवा कांग्रेसियों ने पार्टी मुख्यालय के बाहर 'प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ' के नारे लगाकर टीम राहुल पर सीधा निशाना साध दिया है। राहुल गांधी ने यह भरोसा देने की कोशिश की है कि कांग्रेस जनता का भरोसा दोबारा जीतने के लिए कड़ी मेहनत करेगी।

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पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, लोकसभा चुनाव में करारी हार से राहुल ने कुछ नहीं सीखा और महाराष्ट्र व हरियाणा के विधानसभा चुनाव की कमान उसी टीम के हवाले कर दी गई। राहुल सभी चुनावी फैसले अपनी इसी टीम की सलाह पर लेते रहे, जिनका देश की राजनीतिक की जमीनी हकीकत से कोई नाता नहीं है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के भीतर मोहन प्रकाश व मधुसूदन मिस्त्री को टीम राहुल से बाहर करने की जबरदस्त मांग उठी थी, लेकिन इसे अनसुना कर महाराष्ट्र और हरियाणा के फैसले की जिम्मेदारी इन्हें ही सौंप दी गई। इसके साथ ही राहुल के दो गैर राजनीतिक सलाहकार मोहन गोपाल व कनिष्क सिंह की भूमिका में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। हरियाणा व महाराष्ट्र की हार के बाद आदर्शवाद और हवा-हवाई बातें करने वाले टीम राहुल को दरकिनार करने की कोशिशों को बल मिलना तय है।

जहां वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने फिलहाल चुप रहना बेहतर समझा है, वहीं कांग्रेस के कुछ युवा कार्यकर्ता बाहर 'प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ' के नारे लगाने से नहीं चूके। इन कार्यकर्ताओं का कहना था कि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस आजतक एक भी चुनाव नहीं जीत पाई है और यही सिलसिला जारी रहा तो कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो जाएगा।

वहीं राहुल ने पार्टी की हार को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि जनता ने इस बार परिवर्तन के लिए वोट दिया है। महाराष्ट्र में 15 और हरियाणा में 10 साल के शासन के बाद जनता परिवर्तन चाहती थी। राहुल ने कहा कि हम इन जनादेश को स्वीकार करते हैं और भाजपा को इस जीत के लिए बधाई देते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि जनता का भरोसा जीतने के लिए कांग्रेस नए सिरे जमीन पर जीतोड़ मेहनत करेगी।

प्रियंका के पोस्टर के साथ प्रदर्शन:

हरियाणा और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में हार का रुख देखते ही करीब 250 कांग्रेस कार्यकर्ता अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) मुख्यालय के बाहर जमा हो गए और 'प्रियंका लाओ कांग्रेस बचाओ' के नारे लगाने लगे।

कार्यकर्ताओं के इस समूह का नेतृत्व कर रहे इंडियन नेशन ट्रेड यूनियन (इंटक) के नेता जगदीश शर्मा ने कहा कि चुनावों में पार्टी की लगातार हार से यह बहुत जरूरी हो गया है कि बेहतर संभावना के लिए प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाया जाए।

उन्होंने कहा कि प्रियंका ने महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी के लिए प्रचार किया होता तो स्थिति कुछ और होती। लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर थी और तब भी प्रियंका को जब रायबरेली और अमेठी की जिम्मेदारी दी गई तो कांग्रेस ने दोनों सीटें जीती। अब राहुल प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने के लिए खुद पहल करें।

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