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नहीं काम आईं देशवासियों की दुआएं, वीर सपूत लांसनायक हनुमनथप्पा का निधन

देश के वीर सपूत लांस नायक हनुमनथप्पा आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। उनका गुरुवार को सुबह 11.45 बजे निधन हो गया। हनुमनथप्पा के निधन पर पीएम मोदी ने दुख जताया है उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बहुत ही दुखदायी है कि वो हमें छोड़ कर चले गए। भगवान उनकी

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 08:41 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 04:23 PM (IST)
नहीं काम आईं देशवासियों की दुआएं, वीर सपूत लांसनायक हनुमनथप्पा का निधन

नई दिल्ली। देश के वीर सपूत लांस नायक हनुमनथप्पा आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। उनका गुरुवार को सुबह 11.45 बजे निधन हो गया। हनुमनथप्पा के निधन पर पीएम मोदी ने दुख जताया है उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बहुत ही दुखदायी है कि वो हमें छोड़ कर चले गए। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। आपकी शहादत हमेशा याद रहेगी। गर्व है कि आपके जैसे सैनिक भारत की रक्षा कर रहे हैं।

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तो वहीं वित्तमंत्री अरूण जेटील ने ट्वीट करते हुए कहा कि ये खबर सुनकर उन्हें काफी दुख पहुंचा। भगवान उनके परिवार को इस शोक से निकलने में शक्ति दे।

तो वहीं हनुमनथप्पा के घर पर मातम छाया हुआ है। हनुमनथप्पा के घरवालों का रो-रो कर बुरा हाल है। इससे पहले सेना के आर आर अस्पताल में उन्हें बचाने की जद्दोजहद चल रही थी। रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में लाये जाने के बाद से वह लगातार वेंटिलेटर पर थे।

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दोनों फेफड़ों में निमोनिया की शिकायत

आर्मी अस्पताल में भर्ती हनुमनथप्पा के दोनों फेफड़ों में निमोनिया की शिकायत थी। आरआर हॉस्पीटल के डॉक्टर ने मेडिकल बुलेटिन जारी कर इस बात की जानकारी दी थी। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में 35 फीट मोटी बर्फ के नीचे दबे होने के छह दिन बाद जिंदा निकले लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ अब हमारे बीच नहीं रहे।

कई अंग नहीं कर रहे थे काम

हनुमनथप्पा के कई अंग काम नहीं कर रहे थे। डॉक्टर के मुताबिक उनके दिमाग में ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा था। हनुमनथप्पा को डॉक्टरों की टीम की कड़ी निगरानी में रखा गया था। बावजूद इसके उनकी हालत में सुधार होता नहीं दिखा रहा था।

जारी किए गए बुलेटिन में सेना के रिसर्च एंड रेफरल (आरआर) अस्पताल में उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि हनुमनथप्पा कोमा में थे और अगले 24 घंटे बेहद अहम बताए गए थे। हालांकि उनके शरीर के अंग काम कर रहे थे। सारा देश उनके लिए दुआ कर रहा थे। उनके निधन की खबर के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह भी बुधवार को दोबारा लांस नायक से मिलने सेना के आरआर अस्पताल पहुंचे थे। वहीं, मुंबई में डब्बावालों ने लांस नायक हनुमानथप्पा के लंबे जीवन के लिए प्रार्थना की थी। भोपाल में युवा कांग्रेस लांस नायक हनुमानथप्पा की सलामती के लिए दुआ मांगी।

आरआर अस्पताल की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक हनुमनथप्पा के शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं थी। उनका दिल और फेफड़े ठीक से काम कर रहे थे। लेकिन छह दिन तक बर्फ में दबे रहने से किडनी और लिवर को काफी नुकसान हुआ था। उन्हें निमोनिया हो गया था। किडनी और लिवर को सपोर्ट देने के लिए उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उन्हें मंगलवार को ही दिल्ली लाया गया था।

अंग दान के लिए आगे आए कई लोग

इससे पहले अपने हीरो हनुमनथप्पा को अंग दान देने वाले कई लोग सामने आए। यूपी की एक महिला समेत कई लोग हनुमनथप्पा को लीवर, किडनी समेत अपने अंगदान के लिए आए आए थे।


बिहार के बोधगया में हनुमनथप्पा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए विशेष प्रार्थना की गई।

परिवार को मिली थी राहत
हनुमनथप्पा के जिंदा होने की खबर सुनकर उनका परिवार बहुत खुश हुआ था। उनकी पत्नी यह खबर सुनते ही भगवान का शुक्रिया अदा करने सीधा मंदिर पहुंची थीं।

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जानिए, क्या था हादसा
पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा के पास 19,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित चौकी के 3 फरवरी को हिमस्खलन की चपेट में आ जाने से दस जवान बर्फ में दब गए थे। उनमें से सिर्फ हनुमतथप्पा ही छह दिन बाद 25 फीट मोटी बर्फ के नीचे से सोमवार को जिंदा निकाले गए। जहां यह बर्फानी तूफान आया था, वहां का तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस के नीचे रहता है। सेना को यह सफलता चौबीसों घंटे चलाए गए अभियान के बदौलत मिली है। सेना के इस बचाव अभियान में दो खोजी कुत्तों की भी जान चली गई।

13 साल की नौकरी में 10 साल तक खतरों के बीच रहे हैं हनुमनथप्पा


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