रियल एस्टेट में फंसे ग्राहकों को लेकर सांसत
दो बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों जेपी और आम्रपाली के वित्तीय संकट में फंसने के बाद जो स्थिति उत्पन्न हुई है उससे सरकार सतर्क है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। देश की दो बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों जेपी और आम्रपाली के वित्तीय संकट में फंसने के बाद जो स्थिति उत्पन्न हुई है उससे सरकार सतर्क है। इन दोनों कंपनियों के अलावा कम से आधी दर्जन और रियल एस्टेट कंपनियों की वित्तीय हालत बेहद खराब है। सरकार की दोहरी चिंता है। एक तरफ जहां पैसा देने के बाद भी मकान नहीं मिलने से मध्यम वर्ग में रोष पनपने के संकेत है जो दूसरी तरफ बड़ी बड़ी रियल एस्टेट परियोजनाओं के ठप्प होने से देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने के आसार हैं।
देश की नामी रियल एस्टेट व कंस्ट्रक्शन कंपनी जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने का प्रस्ताव नेशनल कंपनी लॉ बोर्ड (इलाहाबाद बेंच) में स्वीकार होने के बाद पूरे रियल एस्टेट उद्योग में अफरा तफरी का माहौल है। इस बारे में बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से पूछा गया तो उनका जवाब था कि, ''सरकार की पूरी सहानुभूति कंपनी की परियोजनाओं में फंसे ग्राहकों के साथ है। ये ग्राहक दिवालिया कानून के तहत ही राहत मांग सकते हैं।'' पूरे प्रकरण पर पहली बार किसी केंद्रीय मंत्री ने बयान दिया है।
वित्त मंत्री ने इससे आगे कुछ नहीं कहा लेकिन वित्त मंत्रालय के अन्य अधिकारी इस बात को स्वीकार करते हैं कि रियल एस्टेट के हालात बहुत उत्साहजनक नहीं है। यह पूछे जाने पर कि सरकार किस तरह से फंसे ग्राहकों की मदद कर सकती है, एक अधिकारी का जवाब था कि सबसे पहले तो जिस कानून के तहत रियल एस्टेट कंपनियों को दिवालिया घोषित किया जा रहा है उसके तहत ही ग्राहकों की निवेशित राशि लौटाने की व्यवस्था होनी चाहिए। चूंकि इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड भी एकदम नया है और न्यायपालिका के स्तर पर भी इसके तमाम पहलुओं का अभी अध्ययन किया जा रहा है इसलिए थोड़ा इंतजार करना होगा। यह संभावना भी है कि अदालत में इन ग्राहकों के हितों को ज्यादा वरीयता दी जाए।
जरुरत पड़ने पर सरकार अन्य विकल्पों पर विचार कर सकती है। रियल एस्टेट कंपनियां न सिर्फ देश में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करती हैं बल्कि इनसे सीमेंट, स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग भी सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। एक के बाद एक रियल एस्टेट कंपनियों में वित्तीय संकट आने से पहले से ही खस्ताहाल मैन्यफैक्चरिंग उद्योगों की स्थिति पर भी असर पड़ने के आसार हैं। साथ ही राजग सरकार ने वर्ष 2022 तक देश के सभी लोगों को अपना घर मुहैया कराने का लक्ष्य ले कर चल रही है। ऐसे में वह नहीं चाहेगी कि महानगरों व बड़े शहरों में चल रहे आवासीय परियोजनाएं अधूरे रहे।
सरकार के उच्चपदस्थ सूत्र मानते हैं कि मौजूदा हालात का कुछ सकारात्मक पहलू भी निकल सकता है। गलत तरीके से काम करने वाली रियल स्टेट कंपनियां बाहर हो सकती हैं और उनकी जगह ईमानदार व प्रोफेशनल रियल एस्टेट कंपनियां आ सकती हैं।