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मोदी सरकार के तीन साल: आधी आबादी का पूरा ख्याल

नरेन्द्र मोदी सरकार महिलाओं के अधिकारों के प्रति ज्यादा संवेदनशील दिखी है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 09:09 AM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 11:15 AM (IST)
मोदी सरकार के तीन साल: आधी आबादी का पूरा ख्याल
मोदी सरकार के तीन साल: आधी आबादी का पूरा ख्याल

माला दीक्षित, नई दिल्ली। चुनावों में महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी के बाद यूं तो किसी भी राजनीतिक दल के लिए आधी आबादी की शक्ति को नजरअंदाज करना मुश्किल है। लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार महिलाओं के अधिकारों के प्रति ज्यादा संवेदनशील दिखी है। लेकिन मुस्लिम महिलाओं की खास चर्चा इसलिए है क्योंकि पहली बार कोई सरकार उनकी आवाज बनी है।

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लोकतांत्रिक व्यवस्था में मुस्लिम मतदाताओं के नाराज होने का इतना भय व्याप्त था कि कभी किसी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल ला के मसले में हाथ डालने की हिम्मत नहीं की। बल्कि जब शाहबानो केस मे गुजारेभत्ते को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हक में फैसला दिया तो मुस्लिम समाज में उबाल आ गया। फैसले को पर्सनल ला में दखल बताया बताया।

सत्ताधारी कांग्रेस सरकार ने वोट बैंक खिसकने के भय से कानून बनाकर फैसला निष्कृय कर दिया। ये बात 1986 की है। तब तक सरकार ने कभी मुस्लिम महिलाओं के हक की बात नहीं की थी बल्कि कोर्ट से मिले हक में कानून बनाकर कटौती जरूर की थी। अब 31 साल बाद फिर मुस्लिम महिलाओं के अधिकार का मुद्दा गर्म है लेकिन इस बार उनके हक में कटौती के लिए नहीं बल्कि उन्हें बराबरी का मौलिक अधिकार दिलाने के लिए है और इसमें सरकार उनकी ढाल बनी खड़ी है।

सोलह साल बाद महिलाओं के लिए नयी राष्ट्रीय महिला नीति तैयार हो रही है। ये नीति कल्याण के बजाए अधिकार की अवधारणा पर आधारित है। इसमें महिलाओं के स्वास्थ्य, सुरक्षा, पोषण, शिक्षा, आर्थिक समक्षमता, प्रशासन और निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने के साथ ही उनके खिलाफ अपराध रोकने को प्राथमिकताओं में रखा गया है।

पहली बार सिंगल वोमेन को ध्यान में रखा गया है। इसकी शुरूआत पासपोर्ट नियमों में बदलाव से हुई है। इसी तरह सरकार ने मृत्यु प्रमाणपत्र में जीवन साथी का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया है। इससे पति की मृत्यु के बाद विधवा को कानूनी अधिकार आसानी से मिल सकेंगे। कन्या भ्रूण हत्या रोकने का कानून तो 23 साल पहले बन गया था। लेकिन बेटियों को कोख में मारने का सिलसिला नहीं थमा था। बच्चियों को बचाने के लिए मोदी सरकार ने न सिर्फ कानून को प्रभावी बनाया बल्कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देकर बेटियों के प्रति सामाजिक सोच बदलने की मुहिम चलाई। परिणाम अच्छे आये।

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