कॉल ड्रॉप केस में कंपनियों ने भारी कर्ज का तर्क दिया
टेलिकॉम कंपनियों ने बताया कि वे भारी कर्ज में दबी हुई हैं, ऐसे में कॉल ड्रॉप मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति नहीं होनी चाहिए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में कॉल ड्रॉप के मामले में सुनवाई के दौरान बताया है कि समूचा टेलीकॉम सेक्टर भारी कर्ज से दबा हुआ है। ऐसे में कॉल ड्रॉप के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति नहीं होनी चाहिए।
यह भी पढ़ें - स्पेक्ट्रम नीलामी की योजना पर ट्राई के पक्ष में टेलीकॉम आयोग
हालांकि टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई ने इसका खंडन करते हुए कहा कि कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं। इस पर कंपनियों ने कहा कि वे इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर भारी निवेश कर रही हैं। ट्राई कहता है कि टेलीकॉम सेक्टर 250 करोड़ रुपये रोजाना कमा रहा है जबकि वह यह नहीं बताता है कि इस सेक्टर पर कितना कर्ज है। टेलीकॉम सेक्टर पर 3.8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। हम 45,000 करोड़ रुपये की कीमत पर स्पैक्ट्रम खरीद रहे हैं। जबकि पहले स्पैक्ट्रम की कीमत 1658 करोड़ रुपये थी।
यह भी पढ़ें - कॉल ड्रॉप मामला: ट्राई ने SC से कहा, टेलीकॉम कंपनियों को है केवल अपने हितों की चिंता
जस्टिस कुरियन जोसेफ और आर. एफ नरीमन की खंडपीठ के समक्ष टेलीकॉम कंपनियों के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कंपनियों को कोई बड़ी कमाई नहीं हो रही है। साल के अंत में उन्हें एक फीसद भी रिटर्न नहीं मिल रहा है।