गांव-देहात में कॉमन सर्विस सेंटर दूर करेंगे जीएसटी संबंधी दिक्कतें
पहली जुलाई से देश में जीएसटी लागू होने की बढ़ रही संभावनाओं के मद्देनजर सरकार देश में स्थापित ढाई लाख सीएससी को जीएसटी सुविधा प्रोवाइडर के तौर पर तैयार कर रही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गांव देहात में कारोबारियों और छोटे उद्यमियों को जीएसटी संबंधी दिक्कतों को सरकार के कॉमन सर्विस सेंटर दूर करेंगे। ये सेंटर रजिस्ट्रेशन, रिटर्न दाखिल कराने और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने में मदद करेंगे। सरकार ने सोमवार से सीएससी चलाने वाले ग्रामीण उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर दिया है।
पहली जुलाई से देश में जीएसटी लागू होने की बढ़ रही संभावनाओं के मद्देनजर सरकार देश में स्थापित ढाई लाख सीएससी को जीएसटी सुविधा प्रोवाइडर के तौर पर तैयार कर रही है। इनमें से शीर्ष स्तर पर काम कर रहे सीएससी को इस काम के लिए चुना गया है। गांव देहात के स्तर पर सीएससी चला रहे उद्यमी अपने आसपास के कारोबारियों और छोटे उद्यमियों को जीएसटी में मदद कर सकेंगे।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सीएससी को प्रशिक्षण देने के लिए आयोजित की गई कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि सीएससी चलाने वाले सभी वीएलई (विलेज लेवल आंत्रप्रिन्योर) डिजिटल इंडिया की रैपिड एक्शन फोर्स है। उन्होंने कहा कि देश में डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को पूरा करने में इनका अहम योगदान रहने वाला है। इसीलिए इन्हें गांव देहात में जीएसटी के अमल को आसान बनाने के लिए चुना गया है।
गांव देहात के स्तर पर सभी तरह की सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में सरकार ने सीएससी को एक अहम भागीदार के तौर पर चुना है। प्रसाद ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब निजी क्षेत्र भी अपनी सेवाएं गांव देहात तक पहुंचाने में सीएससी की मदद लेने लगे। प्रसाद ने कहा कि जीएसटी का मतलब है एक देश एक टैक्स। उन्होंने कहा कि जीएसटी सुविधा प्रदाता के तौर पर काम करना वीएलई के लिए एक बड़ा अवसर मिलने के समान है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीएससी देश में जीएसटी को बिना किसी बाधा के लागू करवाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
आइसीएआइ ने बनाया जीएसटी सहायता डेस्क
लघु उद्यमियों, छोटे दुकानदार, कारोबारी और जनता को जीएसटी से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराने को इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने जीएसटी सहायता डेस्क स्थापित किये हैं। ये डेस्क सभी प्रमुख शहरों में बनाये गए हैं। फिलहाल ये डेस्क संस्थान के पांच क्षेत्रीय परिषदों, 163 शाखाओं और 48 चैप्टरों में बनाये गए हैं। सभी डेस्कों ने 28 मई से काम करना शुरू कर दिया है और सितंबर तक काम करेंगे।
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