संचेती की कंपनी के खिलाफ सीबीआइ को नहीं मिले सुबूत
नई दिल्ली [जाब्यूरो]। कांग्रेस भले ही छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के नजदीकी व पार्टी के राज्यसभा सदस्य अजय संचेती को घेरने की कोशिश कर रही हो, लेकिन सीबीआइ को अभी तक गड़बड़ी के सुबूत नहीं मिले हैं। कोयला ब्लॉक आवंटन पाने वाली जिन 10 कंपनियों के खिलाफ सीबीआइ एफआइआर दर्ज करने की तैयारी में जुटी है, उनमें संचेती की कंपनी एसएमएस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का नाम नहीं है।
नई दिल्ली [जाब्यू। कांग्रेस भले ही छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के नजदीकी व पार्टी के राज्यसभा सदस्य अजय संचेती को घेरने की कोशिश कर रही हो, लेकिन सीबीआइ को अभी तक गड़बड़ी के सुबूत नहीं मिले हैं। कोयला ब्लॉक आवंटन पाने वाली जिन 10 कंपनियों के खिलाफ सीबीआइ एफआइआर दर्ज करने की तैयारी में जुटी है, उनमें संचेती की कंपनी एसएमएस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का नाम नहीं है।
कोयला घोटाले की जांच से जुड़े सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एक तो एसएमएस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को सीधे कोयला मंत्रालय से ब्लॉकों का आवंटन नहीं हुआ था। दूसरे, छत्तीसगढ़ के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने अपने कोयला ब्लॉक पूरी तरह से संचेती की कंपनी को बेचने के बजाय उनके 49 फीसद शेयर ही बेचे। वह भी इस शर्त पर कि दोनों कोयला ब्लॉकों के विकास में होने वाला पूरा खर्च एसएमएस इन्फ्रास्ट्रक्चर वहन करेगा। उनके अनुसार संचेती की कंपनी को मिले कोयला ब्लॉक दूसरी आरोपी कंपनियों की श्रेणी में नहीं आते हैं।
गौरतलब है कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में संचेती की कंपनी को कोयला ब्लॉक बेचे जाने से छत्तीसगढ़ सरकार को लगभग एक हजार करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया है। वैसे सीबीआइ अधिकारी ने कैग के घाटे के अनुमान पर टिप्पणी करने से इन्कार किया है। उन्होंने साफ किया कि इस मामले में एफआइआर दर्ज करने के लिए आपराधिक साजिश के सुबूत मिलना जरूरी है। एसएमएस ने न तो अन्य कंपनियों की तरह फर्जीवाड़ा कर कोयला ब्लॉक का आवंटन लिया और न ही किसी अधिकारी द्वारा पद का दुरुपयोग कर उसे फायदा पहुंचाने के सुबूत मिले हैं। कोयला ब्लॉकों के शेयर खरीदने के लिए केवल एसएमएस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा टेंडर भरे जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग के नियमों के मुताबिक किसी टेंडर में अकेले भाग लेना तब तक आपराधिक साजिश की श्रेणी में नहीं आता, जब तक दूसरी कंपनियों को टेंडर भरने से रोका नहीं गया हो।
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