CBI के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
कोयला घोटाले में पद के दुरुपयोग मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सीबीआइ के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा की मुसीबतें बढ़ गई हैं। सुप्रीमकोर्ट ने डायरी गेट मामले में उनके खिलाफ सीबीआइ जांच के आदेश दिये हैं। कोर्ट ने कहा कि पहली निगाह में रंजीत सिन्हा के खिलाफ पद के दुरुपयोग का मामला बनता है और उसकी जांच होनी चाहिये। रंजीत सिन्हा पर कोयला घोटाले के आरोपियों से घर पर मुलाकात करने और केस को प्रभावित करने के आरोप हैं। यह पहला मौका होगा जबकि केन्द्रीय एजेंसी अपने ही पूर्व निदेशक के खिलाफ जांच करेगी। रंजीत सिन्हा पर आरोपों की जांच सीबीआई निदेशक के नेतृत्व में एसआइटी करेगी।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति एके सीकरी की पीठ ने सोमवार को कामनकाज संस्था की याचिका पर फैसला सुनाते हुए ये आदेश दिये। पीठ ने मामले की अहमियत के प्रति सीबीआइ निदेशक को सचेत करते हुए कहा है कि यह बताने की जरूरत नहीं कि मामला महत्वपूर्ण और लोगों से जुड़ा हुआ है इसलिए सीबीआइ निदेशक इसे पूरी गंभीरता से लेंगे।
कामनकाज संस्था ने सीबीआइ के तत्कालीन निदेशक रंजीत सिन्हा के घर आने जाने वालों का ब्योरा रखने वाले इन्ट्री रजिस्टर की प्रति दाखिल कर आरोप लगाया था कि सिन्हा ने घर पर कोयला घोटाले के आरोपियों से मुलाकात कर जांच प्रभावित करने की कोशिश की है। संस्था ने सुप्रीमकोर्ट से मांग की थी कि कोर्ट एसआइटी गठित कर रंजीत सिन्हा के खिलाफ जांच के आदेश दे। इस मामले में कोर्ट ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक एमएल शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर उन्हें सिन्हा पर लगे आरोपों की जांच सौंपी थी। एमएल शर्मा कमेटी ने गत वर्ष 4 मार्च को कोर्ट को रिपोर्ट दे दी थी। इसके बाद कोर्ट ने अटार्नी जनरल, याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण और रंजीत सिन्हा के वकील की दलीलें सुनकर मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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सोमवार को कोर्ट ने रंजीत सिन्हा के खिलाफ एसआईटी से जांच कराने की मांग स्वीकार करते हुए कहा कि सीबीआइ एसआइटी गठित कर एमएलशर्मा की रिपोर्ट और अन्य सुसंगत दस्तावेजों को देखते हुए रंजीत सिन्हा पर प्रथम दृष्टया पद का दुरुपयोग कर कोयला घोटाले की जांच प्रभावित करने के आरोपों की जांच करे। कोर्ट ने कहा कि एसआइटी सीबीआइ निदेशक के नेतृत्व में जांच करेगी। सीबीआइ निदेशक जांच में अपने यहां के दो और अधिकारियों की मदद ले सकते हैं लेकिन उन दोनों अधिकारियों के बारे में पहले कोर्ट को सूचित करना होगा। इतना ही नहीं सीबीआइ निदेशक जांच के संदर्भ में मुख्य सर्तकता आयुक्त को भी भरोसे में लेंगे। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ निदेशक को इस बारे में किसी ऐसे व्यक्ति की मदद की भी आवश्यकता होगी जो कानून का जानकार हो। इसके लिए कोयला घोटाले में सीबीआइ के विशेष अभियोजक आरएस चीमा सीबीआइ निदेशक और उनकी टीम को जांच में सहयोग करेंगे।
कोर्ट ने साफ किया कि वे केस की मेरिट, संस्था द्वारा अर्जी में लगाए गये आरोपों और सेवानिवृत आइपीएस एमएल शर्मा की रिपोर्ट के निष्कर्षो पर अपनी कोई राय प्रकट नहीं कर रहे हैं। वे सिर्फ इतना कह रहे हैं कि रिपोर्ट को देखते हुए निश्चित तौर पर पहली निगाह में रंजीत सिन्हा के खिलाफ पद के दुरुपयोग का मामला बनता है और उसकी जांच होनी चाहिये। कोर्ट ने आदेश की प्रति सीबीआइ निदेशक को भेजने का निर्देश दिया है ताकि वे अगली सुनवाई की तिथि कोर्ट को सूचित कर सकें और यह भी बताएं कि उनकी जांच टीम में कौन लोग सदस्य होंगे और कब तक जांच पूरी कर ली जाएगी। कोर्ट में मामले की जांच सीबीआइ के अलावा किसी अन्य एजेंसी की एसआइटी से कराने की मांग खारिज करते हुए कहा कि सीबीआइ के मुखिया बदल चुके हैं ऐसे में उन्हें सीबीआइ की निष्पक्षता पर पूरा भरोसा है।
कोर्ट ने अपने 14 मई 2015 के आदेश को उद्धत करते हुए कहा है कि उसमें कोर्ट ने कहा था कि रंजीत सिन्हा (जो उस उस समय सीबीआइ निदेशक थे) का जांच अधिकारी या उसकी टीम की अनुपस्थिति में कोयला ब्लाक आवंटन के आरोपियों से मिलना कतई ठीक नहीं था। कोर्ट का मानना था कि इस बात की जाचं होनी चाहिये कि क्या ऐसी और मुलाकातें हुईं थी और उनका मामले की जांच उसके बाद सीबीआई द्वारा दाखिल आरोपपत्रों और क्लोजर रिपोर्टो पर कोई प्रभाव पड़ा की नहीं।
पहले सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल ने कहा था कि सिन्हा के घर का आगंतुक रजिस्टर वास्तविक है लेकिन उसमें की गई प्रविष्टियां कोर्ट में साक्ष्यों के जरिए ही साबित हो सकती हैं।
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