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पूरी तरह बेदाग नहीं कोयला ब्लॉक नीलामी

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष जिन 11 कोयला ब्लॉकों को नीलाम किया गया उनमें नीलामी करने वाली कंपनियों के बीच और प्रतिस्पद्र्धा की व्यवस्था की जा सकती थी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 10:42 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 10:49 PM (IST)
पूरी तरह बेदाग नहीं कोयला ब्लॉक नीलामी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजग सरकार जिस कोयला ब्लॉक नीलामी को अपनी एक अहम उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है, उसको कैग ने पूरी तरह से बेदाग नहीं माना है। मंगलवार को संसद में पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष जिन 11 कोयला ब्लॉकों को नीलाम किया गया उनमें नीलामी करने वाली कंपनियों के बीच और प्रतिस्पद्र्धा की व्यवस्था की जा सकती थी।

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जिस तरह से एक ही समूह की कंपनियों ने अलग -अलग कोयला ब्लॉकों को हासिल किया उसको लेकर भी कैग पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। कैग ने नीलाम ब्लॉकों में कोयला के मूल्यांकन में महज 381 करोड़ रुपये के अंतर की बात की है। सरकार का कहना है कि कैग की रिपोर्ट में कोई बड़ी खामी नहीं निकली।कैग की बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट लोकसभा में पेश की गई। कैग ने कहा है कि हम इस बात को लेकर संतुष्ट नहीं हो सकते कि पहले दो चरणों की नीलामी में प्रतिस्पद्र्धा को खूब बढ़ावा दिया गया है।

इन चरणों में सरकार की तरफ से प्रस्तावित 29 कोयला ब्लॉकों में से 11 की सफलतापूर्वक नीलामी की गई। कैग के मुताबिक एक ही समूह की कंपनियों को अलग-अलग ब्लॉकों की नीलामी में हिस्सा लेने दिया गया और उन्होंने इसे हासिल भी किया। कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि हर ब्लॉक की नीलामी में कम से कम तीन ऐसी कंपनियां हिस्सा लें जिन्होंने किसी अन्य ब्लॉक के लिए बोली नहीं लगाए हैं।

हां, एक ही समूह की कंपनियों को अलग-अलग ब्लॉकों में उनकी जरूरत के हिसाब से बोली लगाने की छूट दी गई थी। कोयला मंत्रालय ने बाद में नीलामी से ज्यादा राजस्व हासिल करने के लिए कंपनियों को एक साथ मिल कर बोली लगाने की छूट दी थी। हालांकि इन आपत्तियों के बावजूद कैग ने माना है कि मोटे तौर पर नीलामी प्रक्रिया के अन्य मुद्दे सही हैं। यही वजह है कि कैग की तरफ से नीलाम हो चुके ब्लाकों को रद्द करने की अनुशंसा नहीं की गई है। 381 करोड़ रुपये कम मूल्यांकन करने पर कोयला मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि हमने मनमर्जी के मुताबिक आवंटन किया ही नहीं है इसलिए कम मूल्यांकन का सवाल ही नहीं उठता। सरकार ने एक फ्लोर कीमत तय की थी और उसके आधार पर सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली कंपनी को ब्लॉक दिए गए हैं।

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