नोएडा में सीएनडी प्लांट देगा धूल और मलबे से राहत
नोएडा प्राधिकरण ने प्लांट को जोड़ा है स्वच्छ भारत की मुहिम से, प्लांट के निर्माण व उपयोगिता का लिया जाएगा अन्य शहरों में जायजा...
नोएडा (लोकेश चौहान)। स्वच्छ भारत अभियान की मुहिम के तहत नोएडा प्राधिकरण ने सफाई व्यवस्था को बेहतर करने के साथ मलबे को भी ठिकाने लगाने की योजना बनाई है। इसके लिए कंस्ट्रक्शन एंड बिल्डिंग वेस्ट डिमोलिशन एंड मैनेजमेंट (सीएनडी) प्लांट को प्राधिकरण ने स्वच्छ भारत की मुहिम से जोड़कर इसके निर्माण व
उपयोगिता की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष के अंत तक सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद प्लांट का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। शहर को स्वच्छ एवं मलबा मुक्त बनाने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट प्रोर्सेंसग प्लांट को स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बना लिया है। प्लांट का निर्माण करने के लिए करीब साढ़े तीन एकड़ जमीन की जरूर होगी। मलबा को प्लांट में पहुंचाने के बाद इसे क्रश किया जाएगा। उससे सीमेंट ब्रिक्स, ब्लॉक टाइल्स, टाइल्स सहित कई प्रकार के उत्पाद बनाए जाएंगे, जो निर्माण कार्य में प्रयोग किए जा सकेंगे।
प्लांट के शुरू होने के बाद शहर में इधर-उधर मलबा दिखाई नहीं देगा। 300 टन मलबा प्रतिदिन प्रोर्सेंसग करने वाले प्लांट के निर्माण पर करीब 13 करोड़ रुपये की लागत आएगी। प्लांट के निर्माण के बाद शहर में जगह-
जगह फैला मलबा न तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा, न ही लोगों के लिए परेशानी का सबब बनेगा। बल्कि मलबे को प्लांट में प्रोसेस करके बनाए जाने वाले उत्पाद के जरिए प्राधिकरण आय का नया जरिया खड़ा करेगा।
शनिवार को होगा प्रजेंटेशन : प्लांट को लगाने में प्रयोग होने वाली तकनीक, मलबे की प्रोसेसिंग, इससे बनने वाले उत्पाद और प्लांट की उपयोगिता की जानकारी लेने के लिए शनिवार को नोएडा प्राधिकरण कार्यालय में एक एजेंसी द्वारा प्रजेंटेशन दिया जाएगा। इस प्रजेंटेशन के जरिए प्लांट के निर्माण में आने वाले खर्च और इसकी उपयोगिता के आधार पर प्लांट बनाने पर निर्णय लिया जाएगा।
प्लांट के लिए अभी जमीन का निर्धारण होना बाकी : प्लांट का निर्माण करने के लिए मौखिक रूप से प्राधिकरण अधिकारी मंजूरी दे चुके हैं। इसी आधार पर इस प्लांट को स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनाया गया है। प्लांट के बनने के बाद यहां-वहां फैलने वाला मलबा निस्तारित होगा। प्लांट की उपयोगिता, निर्माण खर्च और प्रतिदिन निकलने वाले मलबे की मात्रा के आधार पर जमीन का निर्धारण किया जाएगा। अभी यह तय नहीं किया गया है कि कितनी क्षमता का प्लांट लगाया जाएगा, इस कारण अभी जमीन का निर्धारण नहीं किया गया है।
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