फिर से खुल सकती है यादव सिंह की क्लोजर रिपोर्ट
नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के पूर्व इंजीनियर इन चीफ यादव सिंह और उसके सहयोगियों की मुसीबत बढ़ने वाली है। 954 करोड़ रुपये घोटाले में यादव सिंह मामले की जांच दोबारा से शुरू हो सकती है।
नोएडा [कुंदन तिवारी]। नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के पूर्व इंजीनियर इन चीफ यादव सिंह और उसके सहयोगियों की मुसीबत बढ़ने वाली है। 954 करोड़ रुपये घोटाले में यादव सिंह मामले की जांच दोबारा से शुरू हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की वकील केआर चित्र ने सीबीसीआइडी की जांच रिपोर्ट पर अंगुली उठा दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले पर सीबीसीआइडी की ओर से ठीक से जांच नहीं की गई। उन्होंने कहा कि भला यह कैसे हो सकता है कि 954 करोड़ का घोटाला हुआ और उसकी जांच में कोई भी दोषी नहीं मिला। यह अपने आप में हैरान कर देने वाली घटना है। ऐसे में प्राधिकरण से लेकर जांच अधिकारी तक कठघरे में खड़े होने चाहिए, क्योंकि घोटाले का मामला पिछली सरकार का है। ऐसे में दूसरी सरकार घोटाले में दोष सिद्ध नही करा सकी।
यह बात घोटाले में सबसे अधिक हास्यास्पद है। इसमें सभी की सांठगांठ नजर आती है। जबसे यह पता चला है कि एससी-एसटी एक्ट की स्पेशल जज बीना चौधरी की अदालत में यादव सिंह को क्लीनचिट देने संबंधी क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है, उसके बाद से इस मामले में तथ्यों को जुटाने का काम शुरू कर दिया गया है।
घोटाले से जुड़े सभी तथ्यों को एकत्र कर जल्द ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें कोर्ट से यादव सिंह की क्लोजर रिपोर्ट को दोबारा से खोलने का आग्रह किया जाएगा। इसकी जांच हाईकोर्ट के पूर्व जजों की निगरानी में कराने की बात कही जाएगी। साथ ही प्रदेश सरकार को आदेश जारी कराया जाएगा कि यादव सिंह के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण की ओर से विभागीय जांच को शुरू कराया जाए। इसमें संलिप्त लोगों को सामने लाया जाए। इससे जनता के बीच प्राधिकरण के विश्वास को वापस लाया जा सके और भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके।
यह है पूरे मामले की स्थिति
13 जून 2012 को सेक्टर-39 थाने में यादव सिंह के खिलाफ मामला दर्ज
06 नवंबर 2012 को जांच सीबीसीआइडी के पास ट्रांसफर
03 जनवरी 2014 को सीबीसीआइडी ने यादव सिंह को क्लीन चिट देकर फाइनल रिपोर्ट जिला अदालत में लगाई
जिला अदालत में एससी-एसटी की स्पेशल जज बीना चौधरी की अदालत में यादव सिंह की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार हुई
---प्राधिकरण में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों उद्यान विभाग घोटाले में एक निदरेष को फंसा दिया गया, जबकि चार अधिकारी तो सीधे तौर पर दोषी दिख रहे हैं। वही 954 करोड़ रुपये के घोटाले में मुख्य आरोपी ही क्लीनचिट ले चुका है। -केआर चित्र, वकील, सुप्रीम कोर्ट