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निर्मल गंगा: 293 करोड़ की योजनाओं की मांगी मंजूर

उत्तराखंड ने गंगा नदी को निर्मल और स्वच्छ बनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। गंगा को साफ और निर्मल बनाने के लिए 2

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 09:12 AM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 09:13 AM (IST)
निर्मल गंगा: 293 करोड़ की योजनाओं की मांगी मंजूर

नई दिल्ली, [माला दीक्षित]। उत्तराखंड ने गंगा नदी को निर्मल और स्वच्छ बनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। गंगा को साफ और निर्मल बनाने के लिए 293 करोड़ रुपये की लागत वाले तीन म्यूनिसिपल वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं और मंजूरी के लिए केंद्र को भेजे गए हैं। इतना ही नहीं, राज्य में गंगा सफाई की कुल 22 परियोजनाएं प्रस्तावित हैं जिनमें से 16 पर काम चल रहा है। तीन की मंजूरी मांगी गई है और दो का अभी समग्र खाका तैयार किया जाना है।

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भागीरथी के 135 किलोमीटर क्षेत्र को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने वाले गंगा के उद्गम राज्य उत्तराखंड ने देवपुत्री को बचाने और संरक्षित करने की मुहिम शुरू कर दी है। उत्तराखंड ने गंगा की स्वच्छता के लिए किए जा रहे प्रयासों का यह ब्योरा सुप्रीम कोर्ट में दिया है। कहा गया है कि सात आइआइटी संघों के जरिये गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट प्लान ने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजनाएं तैयार की हैं। इसमें नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी (एनजीआरबीए) की प्राथमिकता सूची के हिसाब से गंगा नदी की मुख्यधारा के साथ बसे 16 कस्बों और 6 क्षेत्रों को उनके धार्मिक और पर्यटन महत्व को देखते हुए चिन्हित किया गया है। वहां उत्पन्न होने वाले कचरे के लिहाज से इन क्षेत्रों के लिए म्यूनिसिपल वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट व कचरा प्रबंधन योजनाएं तैयार की गई हैं।

उत्तराखंड के एडीशनल एडवोकेट जनरल मुकेश गिरि कहते हैं कि राज्य गंगा स्वच्छता अभियान में केंद्र के साथ है और वह तेजी से योजनाएं लागू कर रहा है। गोपेश्वर, जोशीमठ और श्रीनगर में अलखनंदा के किनारे म्यूनिसिपल वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट बनने हैं। इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत गोपेश्वर में 96.27 करोड़, जोशीमठ में 77.78 करोड़ और श्रीनगर में 119.16 करोड़ रुपये मानी गई है। इसका प्रस्ताव मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा गया है। हरिद्वार और ऋषिकेश के लिए भी खाका तैयार किया जाएगा। उत्तराखंड में 16 अन्य कस्बों में सीवर शोधन संयंत्र (एसटीपी) बनाए जा रहे हैं ताकि गैर शोधित सीवर नदी में न जाए। इसकी कुल लागत 251.21 करोड़ रुपये है। इन्हें 2008 से 2013 के बीच मंजूरी मिली है और 2015 से लेकर 2018 तक सबका काम पूरा करने का लक्ष्य है।

गंगोत्री से शुरू होगा गंगा स्वच्छता अभियान

गढ़वाल, जागरण संवाददाता। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने मंगलवार को बताया कि गंगा स्वच्छता अभियान की शुरुआत 15 दिन बाद गंगोत्री से की जाएगी। पंडा समाज के साथ बैठक में उन्होंने जानकारी दी कि गंगोत्री में सीवरेज समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए महायोजना तैयार की जा रही है। गंगोत्री मंदिर में दर्शनों के बाद वह केदारनाथ पहुंची और बाबा केदार की पूजा-अर्चना की। रात केदारनाथ में विश्राम कर वह बुधवार को बदरीनाथ रवाना होंगी। मंत्री पद संभालने के बाद उमा भारती मंगलवार को पहली बार गंगोत्री पहुंची और गंगा मंदिर में दर्शन कर पंडा समाज के साथ बैठक की। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गंगा स्वच्छता अभियान की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। इसकी शुरुआत 15 दिन बाद गंगोत्री से होगी। गंगोत्री के विकास के लिए सीवरेज व्यवस्था, बस अड्डा निर्माण जैसी तमाम सुविधाएं विकसित की जाएंगी। मंत्री ने कहा कि 'जिस तरह गंगोत्री में गंगा का जल स्वच्छ है, उसी तरह गंगा सागर तक इसे स्वच्छ किया जाएगा।

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