संसद में कमरे को लेकर भिड़ीं तृणमूल-तेदेपा
एक कहावत है..दावा झूठा, कब्जा सच्चा। यानी व्यावहारिक तौर पर कोई जगह उसकी है जिसके पास उसका कब्जा है। बहरहाल कब्जे और दावे की एक ऐसी ही लड़ाई मंगलवार को संसद भवन में भी देखने को मिली जब पार्टी कार्यालय के लिए आवंटित कमरा नंबर पांच को लेकर तेलुगु देसम पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी में भिड़ंत हो गई। लोकसभा सचिवालय के आवंटनों में महज डेढ़ महीने में दो बार दो अलग दलों को आवंटित हो गया। संसद में कार्यालय पर कब्जे का यह दीवानी मामला लोकसभा अध्यक्ष की अदालत म
नई दिल्ली। एक कहावत है..दावा झूठा, कब्जा सच्चा। यानी व्यावहारिक तौर पर कोई जगह उसकी है जिसके पास उसका कब्जा है। बहरहाल कब्जे और दावे की एक ऐसी ही लड़ाई मंगलवार को संसद भवन में भी देखने को मिली जब पार्टी कार्यालय के लिए आवंटित कमरा नंबर पांच को लेकर तेलुगु देसम पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी में भिड़ंत हो गई। लोकसभा सचिवालय के आवंटनों में महज डेढ़ महीने में दो बार दो अलग दलों को आवंटित हो गया। संसद में कार्यालय पर कब्जे का यह दीवानी मामला लोकसभा अध्यक्ष की अदालत में पहुंच गया है।
हुआ कुछ यूं कि मंगलवार दोपहर संसदीय सचिवालय के एक आवंटन पत्र का हवाला देते हुए कमरा नंबर पांच में तृणमूल सांसद जा धमके। पार्टी सांसद वाईएस चौधरी के आवास पर चल रही प्रेस कांफ्रेंस के बीच इसकी खबर मिलते ही तेलुगु देसम पार्टी का अमला संसद में अपने कार्यालय को बचाने के लिए भागा। इस बीच करीब दो दर्जन लोगों के साथ पहुंचे तृणमूल सांसद सुदीप बंधोपाध्याय सीपीडब्लूयडी कर्मियों को तेदेपा के नाम की पंट्टी हटाने और तृणमूल की नाम पंिट्टका टांगने की ताकीद दे चुके थे।
बहरहाल अपना दफ्तर बचाने पहुंचे तेदेपा पदाधिकारियों ने कमरे के आगे फिर से अपने नाम की तख्ती टांग दी। साथ ही कार्यालय में लगी मेज-कुर्सी पर भी जा बैठे। इस बीच मामले को लेकर दोनों पक्षों की शिकायत भी संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के पास पहुंच गई। संसदीय कार्य मंत्री ने इसे अपने क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला बताते हुए किनारा कर लिया। वहीं सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा अध्यक्ष ने तृणमूल सांसदों द्वारा जबरदस्ती कब्जा करने के प्रयासों पर खिन्नता जताई। हालांकि, व्यस्तताओं के चलते लोकसभा अध्यक्ष ने मामले को सुलझाने का भरोसा देते हुए दोनों पक्षों को लौटा दिया।
दरअसल कमरे के इस विवाद की जड़ में लोकसभा सचिवालय से छह अगस्त को निकला ताजा आदेश है जिसमें भूतल पर स्थित कमरा नंबर पांच ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को आवंटित किया गया। वहीं तेदेपा को तीसरे तल पर स्थित कमरा संख्या 135-136 आवंटित किया गया। केंद्र की राजग सरकार में सहयोगी तेदेपा की दलील है कि यह कमरा बीते 30 सालों से संसद में उसका कार्यालय रहा है। वहीं जून में सचिवालय द्वारा जारी आवंटन में भी 22 संसद सदस्यों वाली तेदेपा को ही यह कमरा दिया गया गया था। तेदेपा का कहना है कि इस मामले को लेकर संसद में दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच बातचीत हो चुकी थी। उसके बावजूद तृणमूल सांसद ने कमरा हथियाने की कोशिश की।
वैसे इस कमरे को लेकर झगड़ा नया नहीं है। इससे पहले 14वीं और 15वीं लोकसभा में भी तेदेपा और अन्य दलों के बीच टकराव की नौबत आई। पिछली लोकसभा में द्रमुक को यह कमरा आवंटित करने पर विवाद हुआ था। हालांकि तमाम विवादों और संख्या बल में बढ़ोतरी और कमी के बावजूद 1984 से तेदेपा इस कमरे में काबिज है।
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