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सिविल सोसायटी ने जारी किया समान नागरिक संहिता का मसौदा

जाने-माने लेखक एवं विचारक तुफैल अहमद ने अपने सहयोगियों सत्य प्रकाश और सिद्धार्थ सिंह के साथ इस मसौदे को जारी करते हुए सभी वर्गों से इस पर खुलकर विचार करने की अपील की है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 30 Nov 2016 11:01 PM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2016 12:09 AM (IST)
सिविल सोसायटी ने जारी किया समान नागरिक संहिता का मसौदा

नई दिल्ली, (जेएनएन)। समान नागरिक संहिता पर बहस को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सिविल सोसायटी के तीन सदस्यों की ओर से इस संहिता का एक 12 सूत्रीय मसौदा जनता के विचारार्थ जारी किया गया है। जाने-माने लेखक एवं विचारक तुफैल अहमद ने अपने सहयोगियों सत्य प्रकाश और सिद्धार्थ सिंह के साथ इस मसौदे को जारी करते हुए सभी वर्गों से इस पर खुलकर विचार करने की अपील की है ताकि सभी भारतीयों के लिए समान अधिकार वाले कानून के निर्माण का रास्ता साफ हो सके। इस मसौदे के बिंदु इस प्रकार हैं:

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1-18 साल की उम्र तक हर व्यक्ति के लिए शिक्षा के मौलिक अधिकार को अनिवार्य किया जाए। शिक्षा का मतलब धार्मिक शिक्षा न हो। इस अधिकार को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बाद अन्य मौलिक अधिकारों से ऊपर रखा जाए।

2- धर्म और आस्था का मौलिक अधिकार सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर दिया जाना चाहिए, यह समूहों और संगठनों के लिए उपलब्ध नहीं होना चाहिए।

3- किसी को विवाह धार्मिक रीति-रिवाज से करने की आजादी होनी चाहिए, लेकिन तलाक, संपत्ति और बच्चों के संरक्षण संबंधी विवादों का निपटारा एक समान कानून से होना चाहिए। कोर्ट से तलाक पाए बिना किसी को दोबारा विवाह की इजाजत न हो। धार्मिक समूहों की कहीं कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।

4- संसद, राज्य विधानसभाओं और अदालतों को किसी धर्मग्रंथ के आधार पर कानून नहीं बनाना चाहिए।

5- सभी नागरिकों को लिंग भेद या धार्मिक मान्यताओं का भेदभाव किए बिना पैतृक संपत्ति में समान अधिकार होना चाहिए। लोगों को बच्चे को गोद लेने का समान अधिकार दिया जाना चाहिए। किसी व्यक्ति या संगठन को धार्मिक कारणों से टैक्स में छूट नहीं मिलनी चाहिए।

6- देश के नागरिकों को अभिव्यक्ति की तब तक के लिए निर्बाध स्वतंत्रता होनी चाहिए, जब तक कि इससे देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा न हो। सरकारों को किताबों, पत्रिकाओं, फिल्मों और अखबारों पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए।

7- हर नागरिक पर कानून का शासन समान रूप से लागू होना चाहिए।

8- अदालत में आरोपपत्र दायर किए बिना किसी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए। आतंकवाद और देशद्रोह के मामलों में यह अवधि अधिकतम 90 दिनों की हो सकती है।

9- सरकार को चुनाव आयोग के जरिये राजनीतिक दलों की संगठनात्मक और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।

10- हर नागरिक को पूरे देश में कहीं भी जमीन खरीदने, बेचने या हस्तांतरण का अधिकार होना चाहिए।

11- गिलगिट और बाल्टिस्तान सहित देश के किसी हिस्से में जन्मे बच्चे को स्वत: देश की नागरिकता मिलनी चाहिए।

12- भंगी या काफिर जैसे शब्दों के अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में लाया जाना चाहिए।


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