सिटीजन चार्टर बिल मंजूर, देरी पर दंडित होंगे सरकारी बाबू
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बिना किसी वजह के काम में देरी करने वाले सरकारी बाबुओं की अब शामत आने वाली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को काम लटकाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर जुर्माना लगाने से लेकर कड़ी कार्रवाई किए जाने वाले बहुप्रतीक्षित विधेयक को मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि विधेयक को अगले हफ्ते संसद में पेश कर दिया जाएगा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बिना किसी वजह के काम में देरी करने वाले सरकारी बाबुओं की अब शामत आने वाली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को काम लटकाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर जुर्माना लगाने से लेकर कड़ी कार्रवाई किए जाने वाले बहुप्रतीक्षित विधेयक को मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि विधेयक को अगले हफ्ते संसद में पेश कर दिया जाएगा।
इस विधेयक के दायरे में सरकार से सहायता प्राप्त गैरसरकारी संगठन भी होंगे। सूचना अधिकार कानून [आरटीआइ] की तर्ज पर विधेयक पूरे देश में लागू होगा। इसके तहत आने वाली सेवाओं को राज्यों को अपने सिटिजन चार्टर में शामिल करना पड़ेगा। मंत्रिमंडल से मंजूर विधेयक में आयकर रिटर्न, पेंशन, जाति प्रमाणपत्र, जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट जैसी कई महत्वपूर्ण सेवाओं में देरी होने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत तय समयसीमा के भीतर काम न होने पर संबंधित कर्मचारी पर प्रतिदिन 250 रुपये से लेकर अधिकतम 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
गौरतलब है कि दिल्ली, बिहार और मध्य प्रदेश सहित देश के 10 राज्यों में ये कानून पहले से ही लागू है। इसीलिए कुछ विपक्षी दलों ने राज्य और केंद्र के कानूनों में दोहराव व भ्रम को लेकर सवाल भी उठाए हैं। राज्यों के सिटिजन चार्टर में कुछ सेवाओं के लिए समयसीमा भी तय की गई है। लेकिन ये सिटिजन चार्टर 2011 में लोकपाल के मुद्दे पर चले अन्ना आंदोलन के बाद केंद्र सरकार की रूपरेखा के मुताबिक नहीं बने हैं। इसके अलावा कई सेवाएं राज्यों के सिटिजन चार्टर के दायरे से बाहर रखी गई हैं।
इन सबके मद्देनजर केंद्र सरकार ने सिटिजन चार्टर विधेयक को ज्यादा व्यापक किया है। इसके तहत देश के हर व्यक्ति का यह अधिकार होगा कि उसे कोई भी सेवा एक उचित और तय समय सीमा में मिले। इसके अलावा यदि उसे संबंधित सेवा से कोई शिकायत है तो उसका निपटारा भी एक समय सीमा में हो जाए। विधेयक के तहत सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक शिकायत निपटारा आयोग बनाने का प्रावधान रखा है। साथ ही केंद्रीय सार्वजनिक शिकायत निपटारा आयोग में शिकायतों के निपटारे के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त होंगे। उक्त अधिकारी शिकायत दर्ज करने में जनता की मदद करेंगे। इसके अंतर्गत की गई कार्रवाई को भारतीय दंड संहिता के तहत न्यायिक कार्रवाई माना जाएगा।
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