सेस की दर बढऩे से सिगरेट और महंगी
जीएसटी काउंसिल ने 17 जुलाई को बैठक बुलाकर सिगरेट पर सेस की दर बढ़ाने का फैसला किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल ने सिगरेट पर लगने वाले क्षतिपूर्ति सेस की दरें बढ़ाने का फैसला किया है जिसके बाद सिगरेट महंगी हो जाएंगी। सिगरेट पर सैस की नई दरें सोमवार-मंगलवार की आधी रात्रि से प्रभावी होंगी। सिगरेट पर सेस में 485 से 792 रुपये की वृद्धि की गयी है। इस वृद्धि से सरकार को करीब पांच हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में सोमवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में सिगरेट पर लगने वाले क्षतिपूर्ति सेस की दर बढ़ाने का फैसला किया। नई दरों के हिसाब से 65 मिमी से छोटी नॉन फिल्टर सिगरेट पर सेस की नई दर 5 प्रतिशत प्लस 2076 रुपये प्रति हजार लागू होगी जो अब तक 5 प्रतिशत प्लस 1591 रुपये प्रति हजार रुपये थी। इसी तरह नॉन फिल्टर 65 मिमी से अधिक लेकिन 70 मिमी से कम लंबाई वाली सिगरेट पर सेस की दर 5 प्रतिशत प्लस 3638 रुपये प्रति हजार के हिसाब से लागू होगी। अब तक इसकी दर 5 प्रतिशत प्लस 2876 रुपये प्रति हजार थी। इसी तरह फिल्टर सिगरेट पर भी सैस की दर में अच्छी खासी वृद्धि की गयी है।
65 मिमी से कम लंबाई वाली फिल्टर सिगरेट पर पांच प्रतिशत प्लस 2076 रुपये प्रति हजार के हिसाब से सेस लागू होगा जबकि फिलहाल यह पांच प्रतिशत प्लस 1591 रुपये प्रति हजार था। इसी तरह 70 मिमी से अधिक तथा 775 मिमी से कम लंबाई वाली सिगरेट पर अब पांच प्रतिशत प्लस 3668 रुपये प्रति हजार के हिसाब से सैस लागू होगा जबकि अब तक यह 5 प्रतिशत प्लस 2876 रुपये प्रति हजार था।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले जीएसटी काउंसिल ने 18 मई 2017 को हुई 14वीं बैठक में सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पादों पर सेस की दरें तय की थीं। इसके आधार पर सरकार ने 28 जून को इन दरों की अधिसूचना भी जारी कर दी थी।
दरअसल जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट कमिटी ने सिगरेट पर पर लगने वाले वैट की औसत दर 28.7 प्रतिशत को ध्यान में रखते हुए जीएसटी की दर 28 प्रतिशत रखने का फैसला किया। इसके अलावा काउंसिल ने उत्पाद शुल्क के ऐवज में 1.05 गुना क्षतिपूर्ति सेस भी लगाने का फैसला किया। हालांकि फिटमेंट कमिटी ने जब सिगरेट पर जीएसटी और सेस की दरें तय कीं तो उस समय उसने तत्कालीन व्यवस्था में टैक्स के ऊपर टैक्स के प्रभाव को संज्ञान में नहीं लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि जीएसटी लागू होने के बाद सिगरेट पर कुल टैक्स भार पहले की अपेक्षा कम हो गया। वित्त मंत्रालय का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद अगर सामान्य उपयोग की किसी वस्तु की कीमत कम होती है तो वह स्वागतयोग्य है लेकिन सिगरेट जैसी डिमेरिट वस्तुओं की कीमत बढ़ना चिंताजनक है। यही वजह है कि काउंसिल ने 17 जुलाई को बैठक बुलाकर सिगरेट पर सेस की दर बढ़ाने का फैसला किया है। जीएसटी काउंसिल की बैठक अगस्त में होनी थी लेकिन इस मुद्दे का हल निकालने को इसे पहले ही बुला लिया गया।