'नोटबंदी पर ऐसा किला न बनाएं, जिसे बाहुबली भी नहीं तोड़ सके'
सीआईसी ने नोटबंदी की सूचना नहीं देने के सरकारी रवैए की आलोचना-डाक विभाग को आरटीआई आवेदन का जवाब देने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहा है कि नोटबंदी से जुड़े हर सरकारी विभाग की यह जवाबदेही है कि वह इस बड़े फैसले के पीछे के सभी तथ्यों की जानकारी दे। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यलु ने फिल्म बाहुबली का जिक्र करते हुए कहा कि नोटबंदी को लेकर इस तरह का किला न बनाएं, जिसे बाहुबली भी नहीं तोड़ पाए।
आचार्यलु ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में जनता से जुड़े मामले के चारों ओर फौलादी किला बनाने को पचा पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे नजरिए को खत्म करने की जरूरत है। सूचना आयुक्त के इस बयान को अहम माना जा रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय, रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय ने इस फैसले की वजह पूछने वाले आरटीआई आवेदनों को खारिज कर दिया है।
आचार्यलु ने नोटबंदी के फैसले को लेकर सूचना नहीं देने पर देने पर कहा कि इस तरह के प्रयासों से अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर शंकाएं पैदा होंगी। मोदी सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को 1000 और 500 के नोट को चलन से बाहर कर दिया था।
दरअसल, एक आरटीआई कार्यकर्ता रामस्वरूप ने बदली गई कुल करेंसी, इसे बदलने वाले लोगों और करेंसी बदलने के लिए पहचान-पत्र देने वाले ग्राहकों की संख्या के बारे में सवाल पूछा था। उन्होंने पिंटो पार्क एयर फोर्स एरिया के पोस्ट ऑफिस से यह सूचना मांगी थी। लेकिन, डाक विभाग का कहना था कि उसके पास इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है। इस पर आचार्यलु ने डाक विभाग को सूचना मुहैया कराने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी विभागों को हर उस फैसले की सूचना देनी चाहिए, जिससे देश के नागरिकों पर असर पड़ता है।
केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी को आरटीआई आवेदनों को दरकिनार नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पारदर्शिता के खिलाफ उनके रवैए का पता चलता है।
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