Move to Jagran APP

चीनी सैनिकों ने 150 बार किया घुसपैठ का प्रयास

लद्दाख प्रांत में चीन की सेना पब्लिक लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का बार-बार उल्लंघन कर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने से बाज नहीं आ रही है।

By Test1 Test1Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 09:02 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 09:32 PM (IST)
चीनी सैनिकों ने 150 बार किया घुसपैठ का प्रयास

जागरण ब्यूरो श्रीनगर। लद्दाख प्रांत में चीन की सेना पब्लिक लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का बार-बार उल्लंघन कर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने से बाज नहीं आ रही है। इस साल भी पीएलए के जवान अब तक लगभग 150 बार एलएसी लांघ चुके हैं और 100 बार उनका भारतीय जवानों के साथ आमना-सामना भी हुआ है, लेकिन यह गतिरोध बिना किसी सैन्य टकराव के समाप्त हुआ है। खास बात यह है कि उल्लंघन की यह घटनाएं पिछले सालों की तुलना में कम हैं और समन्वय से सीमा पर तनाव कम किया जा रहा है।

loksabha election banner

पढ़ेः तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं

उत्तरी कमान के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ चार से पांच चौकियों के इलाके में ही सीमित रही है। उन्होंने कहा कि पीएलए के जवान अक्सर भारतीय सीमा में दाखिल हो जाते हैं, लेकिन साल उनकी घुसपैठ के मामले बीते साल की तुलना में बहुत कम हैं। इसके अलावा पहले की तरह चीन की तरफ से घुसपैठ को लेकर तनाव पैदा नहीं किया जा रहा है।

पढ़ेः एलओसी पर घुसपैठ नाकाम कर रहा मजबूत सुरक्षा ग्रिड : जीओसी

दोनों पक्ष एलएसी पर सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के साथ लगातार संवाद और समन्वय बनाए हुए हैं। एलएसी पर किसी तरह की तनाव पैदा होने की स्थिति में चीनी सैन्याधिकारियों के साथ बातचीत के लिए बीपीएम (बॉर्डर पर्सनल मीटिंग) प्वाइंट बनाए गए हैं। इसके अलावा इसी साल एक बीपीएम और शुरू किया गया है।

वर्ष 2014

-लगभग 600 बार एलएसी का उल्लंघन किया।

-350 बार भारतीय जवानों से सामना हुआ।

वर्ष 2013

-लद्दाख में 400 बार घुसपैठ की।

-100 बार भारतीय जवानों से सामना हुआ।

300 आतंकी भारत में घुसपैठ की फिराक में


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.