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तिब्बतियों से मिले थे भारत से निकाले गए तीन चीनी पत्रकार

भारत ने चीन के तीन पत्रकारों की वीजा अवधि बढ़ाने से मना कर दिया है। बताया जा रहा है कि इन तीनों ने निर्वासित तिब्बती कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 12:17 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 12:43 PM (IST)
तिब्बतियों से मिले थे भारत से निकाले गए तीन चीनी पत्रकार

नई दिल्ली, (जेएनएन)। भारत ने चीन के तीन पत्रकारों का वीजा 31 जुलाई के बाद बढ़ाने से मना कर दिया है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के इन पत्रकारों ने हाल ही में बेंगलुरु जाकर निर्वासित तिब्बती कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी। माना जा रहा हैं कि ये वजह भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नाराजगी का मुख्य कारण हो सकता है। हालांकि केंद्र के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ये तीनों पत्रकार अपनी वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रह रहे थे।

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खुफिया एजेंसियों से रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्र सरकार ने इन पत्रकारों की वीजा अवधि न बढाने का फैसला किया। इन पत्रकारों को 31 जुलाई तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। तीनों शिन्हुआ के नई दिल्ली व मुंबई ब्यूरो से जुड़े थे। इनमें से वु कियांग दिल्ली ब्यूरो के हेड हैं। लू तांग मुंबई हेडक्वार्टर संभालती हैं। शी योगांग मुंबई में रिपोर्टर हैं।

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सूत्रों के अनुसार इन पत्रकारों ने कुछ समय पहले बेंगलुरु में तिब्बती कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी। इसके बाद ये भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नजरों में आ गए।

हालांकि निर्वासन में चल रही तिब्बती सरकार का हेडक्वार्टर हिमाचल के धर्मशाला में है। लेकिन कर्नाटक में हजारों तिब्बती रहते हैं। दिलचस्प बात ये है कि इन पत्रकारों ने इससे पहले धर्मशाला जाकर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात की थी। शिन्हुआ के अलावा चीन के सरकारी समाचार पत्र पीपल्स डेली और चाइनीज टीवी के संवाददाता भी दिल्ली में है। एक अन्य सूत्र के अनुसार वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी यहां रहने का मतलब हो सकता है कि ये पत्रकारिता के अलावा कुछ और भी काम कर रहे थे।

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इन तीनों पत्रकारों के गतिविधियों पर पिछले महीनों से नजर रखी जा रही थी। इनका वीजा तो साल की शुरुआत में ही खत्म हो गया था। इसके बावजूद ये उसकी अवधि बढ़वा रहे थे। हालांकि ये कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत इसके बाद शिन्हुआ के नए पत्रकारों को यहां आने की इजाजत देगा। चीनी पत्रकारों के वीजा न बढ़ाने के कदम से भारत-चीन रिश्ते में और कड़वाहट आ सकती है।

बता दें, चीन ने न्यूक्लियर सप्लायर समूह (एनएसजी) में भारत के आवेदन का कड़ा विरोध किया था।

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