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जानें, आखिर NSG मुद्दे पर भारत को चीन क्यों दे सकता है समर्थन

एनएसजी की सदस्यता हासिल करने के लिए चीन को समझाने में भारत जुटा हुआ है। इस बीच चीन की तरफ से भी सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 10 Oct 2016 10:17 AM (IST)Updated: Mon, 10 Oct 2016 01:18 PM (IST)
जानें, आखिर NSG मुद्दे पर भारत को चीन क्यों दे सकता है समर्थन

नई दिल्ली(जेएनएन)। आज से करीब चार महीने पहले सियोल में अगर चीन की तरफ से विरोध नहीं हुआ होता तो भारत को एनएसजी की सदस्यता मिल गई होती। चीन और कुछ देशों के विरोध के बाद भारत को सियोल से खाली हाथ लौटना पड़ा। लेकिन इन चार महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदल रहे हालातों से चीन के रुख में थोड़ी नरमी देखने को मिल रही है। चीन का कहना है कि उसे भारत की सदस्यता पर ऐतराज नहीं है। लेकिन एनएसजी की सदस्यता हासिल करने के लिए जिन बुनियादी शर्तों को रखा गया है, उसका पालन तो होना चाहिए। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि उन नियमों को चीन ने नहीं बनाया था। लिहाजा उसे दोषी ठहराना ज्यादती होगी।

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ब्रिक्स में शिरकत करने आएंगे चीनी राष्ट्रपति

भारत में इसी महीने वाले ब्रिक्स सम्मेलन से पहले इस बात की कोशिश की जा रही है कि चीन की आपत्तियों को दरकिनार किया जा सके। इस सिलसिले में चीनी अधिकारियों के साथ कई दौर की बातचीत भी हुई है। दोनों देशों के अधिकारियों का मानना है कि ब्रिक्स सम्मेलन में शिरकत करने के लिए आ रहे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्रा से पहले जटिल मुद्दों को सुलझा लिया जाए। राष्ट्रपति जिनपिंग की भारत यात्रा से पहले चीन के उप विदेश मंत्री ली बाओदोंग ने कहा कि हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन एनएसजी क्लब से जुड़े सदस्यों को नियम कानून के बारे में बदलाव करने के लिए सोचना होगा।

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'भारत की कोशिश जारी'

पीएम नरेंद्र मोदी की ये कोशिश है कि एनएसजी पर जारी अड़चन को दूर किया जाए ताकि भारत स्वच्छ ऊर्जा के निर्माण में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ा सके।एनएसजी की सदस्यता हासिल करने के लिए भारत की कोशिश 1974 में परमाणु परीक्षण के बाद तुंरत शुरू की थी। लेकिन चीन ने अपने वीटो इस्तेमाल से भारत की उम्मीद पर पानी फेर दिया था।

गैर NPT सदस्यों को एनएसजी में एंट्री नहीं

एनपीटी के तहत सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों को ही परमाणु ऊर्जा संपन्न राष्ट्र माना जाता है। दूसरे परमाणु संपन्न देशों को आधिकारिक दर्जा नहीं दिया गया है। भारत ने एनपीटी पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया था। लेकिन अपने बेहतर परमाणु रिकॉर्ड के आधार पर एनएसजी सदस्यता की मांग की।परमाणु अप्रसार के रिकॉर्ड को देखते हुए 2008 में भारत को एनएसजी के कुछ नियमों से ढील मिली।लेकिन निर्णय प्रक्रिया में शामिल होने के अधिकार से वंचित रखा गया।

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कंबोडिया-बांग्लादेश दौरे पर भी होंगे चीनी राष्ट्रपति

13 से 17 अक्टूबर तक गोवा में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन से पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहले कंबोडिया का दौरा करेंगे। कंबोडिया दौरे के बाद वो बांग्लादेश का भी दौरा करेंगे। गोवा में शी जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात होगी। गोवा में पीएम से मुलाकात के बाद वो बिम्सटेक देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। ब्रिक सम्मेलन 15 अक्टूबर को शुरू होगी और अगले दिन खत्म हो जाएगी। शी जिनपिंग के बांग्लादेश दौरे को काफी अहम बताया जा रहा है क्योंकि 30 साल बाद ये पहला मौका है जब चीन का कोई राष्ट्राध्यक्ष बांग्लादेश का दौरा करेगा।


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