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बिजली ट्रांसमिशन हैक कर सकता है चीन, भारतीय कंपनियों ने जताई चिंता

चीन को लेकर भारतीय कंपनियों ने देश में बिजली का ट्रांसमिशन नेटवर्क हैक होने की आशंंका जताई है। इस आश्‍ांका से फिलहाल कंपनियां खासा परेशान हैंं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 10:09 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 11:06 AM (IST)
बिजली ट्रांसमिशन हैक कर सकता है चीन, भारतीय कंपनियों ने जताई चिंता
बिजली ट्रांसमिशन हैक कर सकता है चीन, भारतीय कंपनियों ने जताई चिंता

नई दिल्ली (जेएनएन)। बिजली सेक्टर से जुड़े उपकरण बनाने वाली भारतीय कंपनियों ने इस बात की आशंका जताई है कि बिजली वितरण से जुड़े सिस्टम में चीनी कंपनियों की बढ़ती दखल और सूपर्वाइज़री कंट्रोल एंड डेटा अक्वीजिशन (SCADA) सिस्टम की वजह से देश में बिजली का ट्रांसमिशन नेटवर्क हैक हो सकता है। चीन को लेकर जताई गई इस आश्ांका से फिलहाल कंपनियां खासा परेशान हैंं। इस आशंका के बाद भी चीनी कंपनियों का दखल इस क्षेत्र में लगातार बढ़ता जा रहा है।

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क्या है SCADA सिस्टम

SCADA एक कम्प्यूटर आधारित इंडस्ट्रियल सिस्टम है, जिसकी मदद से फैक्ट्रियों और दूसरे औद्योगिक केंद्रों में बिजली की सप्लाई ऑटोमैटिक तरीके से कंट्रोल होती है। यह सिस्टम ग्रिड में डिमांड और सप्लाई के बीच संतुलन बनाए रखता है। भारतीय कंपनियों की चिंंता की वजह भी यहीं से शुरू होती है। दरअसल, SCADA से जुड़े समझौताें में उनके कलपुर्जों की मरम्मत भी शामिल है। लेकिन मरम्मत के दौरान समझौता करने वाली कंपनियों को अपने लोग भी वहां पर तैनात करने होते हैं, जिससे किसी तरह की धांधली न हो सके।

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चीनी कंपनियों ने हासिल किए कांट्रेक्ट

बिजली सेक्टर में SCADA का इस्तेमाल होने की वजह से सिस्टम में कम्प्यूटर बग डाले जाने की आशंका काफी बढ़ जाती है। कंपनियों का कहना है कि हाल ही में चीनी कंपनियों ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, पुडुचेरी के 18 शहरों में SCADA से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए हैं, लिहाजा इस सिस्टम को हैक किए जाने की आशंका भी काफी ज्यादा है।

उर्जा मंत्री को पत्र लिखकर जताई चिंता

फिलहाल इस चिंता को लेकर इंडियन इलेक्ट्रिकल इक्वीपमेंट मैन्युफैक्चर एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल सुनील मिश्रा ने इस बाबत ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि कनेक्टेड सिस्टम में इक्विपमेंट्स आपस में आंकड़ों और जानकारियों का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे सिस्टम बेहतर होता है। हालांकि, इससे सिस्टम को कुछ ऐसे संदिग्ध लोगों, कंपनियों या देशों से खतरे की आशंका भी बढ़ जाती है, जो अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

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सुरक्षा के लिहाज से भी बड़ा खतरा

बिजल सिस्टम को हैक करना न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से बेहद बड़ा खतरा है बल्कि दूसरी ओर इसका सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। चीन को लेकर बिजली उपकरण बनाने वाली घरेलू कंपनियों ने पहली बार चिंता नहीं जताई है बल्कि इससे पहले भी चीनी उपकरणों को लेकर अपना विरोध दर्ज कर चुकी हैं।

चीन को लेकर चिंता

चीन को लेकर इस तरह की चिंता भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों को भी रही है। वर्ष 2015 में फिलीपींस ने चीन के स्टेट ग्रिड कॉर्पोरेशन के साथ तकनीकी सहयोग खत्म कर दिया था। सुरक्षा पर खतरे के मद्देनजर चीनी के टेक्निशियंस को देश से निकाल दिया था। इसी तरह से ऑस्ट्रेलिया ने चीन के स्टेट ग्रिड कॉर्पोरेशन और हॉन्ग कॉन्ग की एक बिजली कंपनी के अपने देश में बिजली ट्रांसमिशन के सेक्टर में कारोबारी दखल बढ़ाने की कोशिश को नाकाम कर दिया। चीन की फुजियन ग्रांड चिप इन्वेस्टमेंट फंड एलपी की सहयोगी कंपनी जर्मनी के सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी एक्सट्रॉन एसई का अधिग्रहण करना चाहती थी। जर्मनी ने पहले इजाजत दी, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया।

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